दुद्धी, सोनभद्र। किसानों की आय दोगुनी करने के लिए सरकार हर सम्भव प्रयास कर रही है। पीएम किसान सहित अन्य ऋण योजनायें एवं समय -समय पर बीज भी उपलब्ध कराती है। इस वर्ष भगवान इंद्र ने अच्छी बरसात की तो किसानों की अच्छी उपज की उम्मीदें भी जगी और किसानों ने समय से धान की रूपाई भी कर दी लेकिन अब उन्हें यूरिया खाद के लिए भटकना पड़ रहा है। करीब पखवाड़े भर सहकारी समितियों पर कब खाद आ रही है और कब खत्म हो जा रही है किसानों को पता भी नही चल पा रही है।जिस किसी सहकारी समिति पर यूरिया खाद आने की सूचना मिल रही है वहां किसानों की भीड़ उमड़ जा रही है जिससे वितरण में भी कठिनाइयों का सामना करना पड़ है।
वहीं सहकारी समितियों पर यूरिया खाद नहीं होने का फायदा प्राइवेट दुकानदार जमकर उठा रहे हैं। प्राइवेट में यूरिया खाद 300 से 350 रुपये प्रति बोरी तक बेची जा रही है। कहीं -कहीं तो जिंक देकर सीधे 400 रूपये तक लिए जा रहे है जबकि यूरिया खाद की बोरी पर विक्रय मूल्य 266 रुपये के करीब अंकित हैं। उधर अधिकारियों द्वारा सहकारी समितियों पर खाद की किल्लत नही होने देने की हवाला दिए जाने के बाद भी किसानों को भरपूर मात्रा में खाद नही मिल पा रही है, जो किसानों के लिए चिंता का विषय है।
अखिल भारतीय आदिवासी महासंघ के जिलाध्यक्ष फौदार सिंह परस्ते ने कहा कि सहकारी समितियों पर खाद आती है लेकिन सचिवों की मनमानी के कारण सीधे -साधे आदिवासी किसान लाइन में लगे रह जाते है और बड़े लोग सोर्स लगाकर यूरिया खाद ले लेते है। दुद्धी सहित अन्य लेम्पसो पर खाद वितरण में आदिवासी किसानों के साथ नाइन्साफी की जा रही है जो उचित नही है। यदि सहकारी समितियों का रवैया इसी तरह चलता रहा तो आदिवासी किसान सड़क पर उतरने के लिए बाध्य होगा।