भगवान को पाने के लिए अवस्था नहीं आस्था की आवश्यकता होती है -शालिनी त्रिपाठी  

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*राम जन्म के भेद अनेका, परम विचित्र एक ते एका।*

 *बबुरी।* स्थानीय क्षेत्र के बौरी ग्राम सभा में चल रहे नौ दिवसीय श्रीराम कथा के चौथे दिन कथावाचिका स्वर कोकिला मानस मयूरी शालिनी त्रिपाठी ने कहा कि पृथ्वी पर जब-जब असुरों का आतंक बढ़ा है तब-तब ईश्वर ने किसी न किसी रूप में अवतार लेकर असुरों का संहार किया है। जब धरा पर धर्म के स्थान पर अधर्म बढ़ने लगता है तब धर्म की स्थापना के लिए ईश्वर को आना पड़ता है। उक्त बाते भगवान शिव माता पार्वती को राम जन्म की कथा सुना रहे थे तब उन्होंने प्रभु के जन्म लेने के अनेक कारण बताया।उन्होंने कहा कि जब ब्राह्मणों के शाप के कारण प्रतापभानु , अरिमर्दन और धर्मरुचि ये तीनो रावण , कुम्भकर्ण और विभीषण बने। पृथ्वी पर जब राक्षसों का अत्याचार अपने चरम पर था सारे देव दानव घबरा कर विभिन्न रूप धारण कर विचरण कर रहे थे। पृथ्वी गो का रूप धारण कर वहाँ गयी जहाँ सारे देवता और मुनि छिपे थे। सब एक साथ ब्रम्हा जी के पास गए और उपाय पूछा तो ब्रम्हा जी ने कहा कि धीरज रख श्री हरी का चरण वन्दन करो। सब सोच रहे थे कि प्रभु कहा मिलेंगे। सब अपना अपना तर्क प्रस्तुत कर रहे थे। उक्त बातें भगवान शिव माता पार्वती को कथा के दौरान बताते है साथ की कहा कि ” हरी व्यपाक सर्वत्र समान , प्रेम ते प्रकट हो ही मैं जाना ” इसे जान सभी देवताओं ने प्रभु की वन्दना प्रारम्भ की। इनकी वन्दना से प्रसन्न हो श्री हरि ने कहा की मैं सूर्यवंश में मानव रूप में जन्म लूँगा। यह उद्गार श्री रामकथा के चतुर्थ दिवस की कथा के

दौरान स्वर कोकिला मानस मयूरी शालिनी त्रिपाठी ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि आज का व्यक्ति ईश्वर की सत्ता को मानने से भले ही इंकार कर दे लेकिन एक न एक दिन उसे ईश्वर की महत्ता को स्वीकार करना ही पड़ता है। संसार में जितने भी असुर उत्पन्न हुए सभी ने ईश्वर के अस्तित्व को नकार दिया और स्वयं भगवान बनने का ढोंग करने लगे, लेकिन जब ईश्वर ने अपनी सत्ता की एक झलक दिखाई तो सभी का अस्तित्व धरा से ही समाप्त हो गया। अधर्म के मार्ग पर चलने वाला व्यक्ति कितना ही शक्तिशाली क्यों न हो लेकिन धर्म के मार्ग पर चलने वाले के आगे अधिक समय तक नहीं टिक सकता। कथा व्यास ने कहा कि ब्राह्माण पूजनीय होता है। ब्राह्माण का कभी उपहास नहीं करना चाहिए। जिसने ब्राह्मण का उपहास किया है उसका सर्वनाश ही हुआ है। व्यास ने ब्राह्माण द्वारा भानुप्रताप को दिए गए श्राप की कथा का विस्तार से वर्णन किया। आचार्य ने श्रीराम जन्म की कथा सुनाते हुए कहा कि जब अयोध्या में भगवान राम का जन्म होने वाला था तब समस्त अयोध्या नगरी में शुभ शगुन होने लगे। भगवान राम का जन्म होने पर अयोध्या नगरी में खुशी का माहौल हो गया। चारों ओर मंगल गान होने लगे। राम जन्म की कथा सुन पांडाल में मौजूद महिलाएं अपने स्थान पर खड़ी होकर नृत्य करने लगी।

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