कनहर बांध बनने के दो साल बाद भी नहरों का काम अधूरा, सिंचाई के लिए पानी का इंतजार कर रहे किसान

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  कनहर बांध बनाकर चुप्पी साधे बैठे अधिकारी, नहर को लेकर सुस्ती किसानों पर पड़ रही भारी

दुद्धी, सोनभद्र। कनहर सिंचाई परियोजना के जिम्मेदार अधिकारियों की सुस्ती के कारण अभी तक नहर का निर्माण कार्य अधूरा होने से कनहर बांध का पानी सीधे कनहर नदी में बह रहा हैं और क्षेत्र के किसान सिंचाई के लिए टकटकी लगाए हुए हैं। कनहर सिंचाई परियोजना की लापरवाही दो साल से किसानों पर भारी पड़ रही हैं। कनहर बांध बने करीब 2 वर्ष होने को हैं लेकिन अभी तक न तो बायीं नहर का पूरा हुआ और न ही दायी नहर का, इसलिए कनहर बांध के सभी फाटक से सीधे कनहर नदी में पानी बह रहा हैं, जिससे करोड़ों के कनहर सिंचाई परियोजना को लेकर सवाल उठने लगे हैं।
   क्षेत्र के किसानों का कहना हैं कि कनहर बांध बनने से उम्मीदें जगी थी कि अब सिंचाई के लिए कनहर बांध से नहर द्वारा पानी मिलेगी लेकिन कनहर बांध बनने के दो साल बाद भी खेतों को पानी नही मिलना शुरू हुआ हैं, इसका सबसे बड़ा कारण नहर का अधूरा होना बताया जा रहा हैं।नहर नही बनने के कारण हजारों क्यूसिक पानी प्रतिदिन कनहर नदी में फालतू छोड़ा जा रहा हैं। अगर यही पानी नहरों के माध्यम से छोड़ा जाता तो क्षेत्र के हजारों किसानों को सिंचाई के लिए जरूरी पानी मिल जाती जिससे किसानों को अधिक उपज में मददगार साबित होती लेकिन कनहर सिंचाई परियोजना के अधिकारियों की लापरवाही किसानों पर अब धीरे-धीरे भारी पड़ने लगी हैं।
   इस सम्बन्ध में कनहर सिंचाई परियोजना के अधिशासी अभियंता ई. विनोद कुमार ने बताया कि पैसा नही होने के कारण नहर का काम पूर्ण नहीं किया जा सका है। शासन को बजट के लिए लिखा गया है, बजट मिलते ही नहर के काम में तेजी लाई जाएगी।
नहर का काम अधूरा होने से 35467 हेक्टेयर क्षेत्र सिंचित करने की योजना खटाई में –
किसानों को सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने हेतु कनहर नदी पर 39.90 मीटर ऊँचा तथा 3.24 किमी0 लम्बा बांध बनाकर 0.15 मिलियन एकड़ फीट जल उपयोग करने हेतु कनहर सिंचाई परियोजना का निर्माण गया है। इस परियोजना में 104.85 किमी0 मुख्य नहरें एवं शाखायें तथा 144.19 किमी0 लम्बी राजवाहों एवं अल्पिकाओं के माध्यम से 26075 हेक्टेयर कृषि योग्य क्षेत्र में दोनों फसलों को मिलाकर कुल 35467 हेक्टेयर क्षेत्र सिंचित करने का प्रस्ताव है। इस परियोजना के क्रियान्वयन से दुद्धी एवं चोपन विकास खण्डों के लगभग 108 ग्रामों के कृषक परिवार लाभान्वित करने की योजना नहर का काम अधूरा होने के कारण खटाई में पड़ती हुई नजर आ रही हैं।

2200 करोड़ से अधिक खर्च के बाद भी किसानों के खेतों को सिंचाई के लिए पानी नही
कनहर सिंचाई परियोजना की मूल लागत वर्ष 1976-77 में रू0 27.75 करोड़ (दर अनुसूची-1976) आंकलित की गयी थी, जिसका प्राक्क्लन केन्द्रीय जल आयोग एवं उव प्रव शासन को प्रेषित किया गया था। उव प्रव शासन द्वारा इसकी वित्तीय स्वीकृति पत्रांक 258/79/23-सी-999/73, दिनांक 29.01.1979 द्वारा रू0 27.75 करोड़ के लिए प्रदान की गयी थी। परियोजना का निर्माण कार्य वर्ष 1978-79 में प्रारम्भ हुआ, तत्पश्चात् 1983-84 से वर्ष 2009-2010 तक कार्य स्थगित रहा तथा 27 वर्ष की अवधि में छत्तीसगढ़ व झारखण्ड राज्य से सहमति प्राप्त करने तथा सृजित परिसम्पत्तियों के रख-रखाव के साथ-साथ स्पिलवे के परिकल्पन हेतु आवश्यक डाटा के लिए मृदा परीक्षण संबंधी अनुसंधान कार्य बांयी कनहर नहर के सर्वेक्षण कार्य, कृषक भूमि का अधिग्रहण एवं मुआवजा वितरण का कार्य कराया गया।
  केन्द्रीय जल आयोग से स्वीकृति उपरान्त व्यय वित्त समिति की बैठक दिनांक 08.01.2015 को रू0 2239.35 करोड़ के लिए अनुमोदित किया गया, जिसका स्वीकृति अ0शा0 पत्रांक सं0-316/प्रा0र0भू0प्र0/13, व्यय वित्त समिति, सचिवालय द्वारा निर्गत किया गया। पुनरीक्षित परियोजना की प्रशासकीय एवं वित्तीय स्वीकृति उ0 प्र0 शासन के पत्रांक-223/2015/2322/15-27-सिं0-4-172(डब्लू)परि0/06, दिनांक 14.10.2015 द्वारा निर्गत की गयी है। वर्ष 2013-14 में रू0 50.00 करोड़, वर्ष 2014-15 में रू0-195.00 करोड़, वर्ष 2015-16 में रू0-295.00 करोड़, 2016-17 में रू0-450.00 करोड़, वर्ष 2017-18 में रू0-205.00 करोड़, वर्ष 2018-19 में  रू0-410.00 करोड़ वर्ष 2019-20 में रू0-269.00 करोड़ एवं वर्ष 2020-21 में रूव-131.00 करोड़ आवंटित किया गया था। इस प्रकार 03/2021 तक परियोजना पर कुल 2068.55 करोड़ व्यय किया जा चुका है।
  वित्तीय वर्ष 2021-22 में परियोजना पर रूव-151.80 करोड़ के प्राविधानित बजट के सापेक्ष रूव-58.80 करोड़ की वित्तीय स्वीकृति निर्गत हुई है। सिंचाई विभाग को 2021-22 तक रू0-22.40 करोड़ की साख-सीमा प्राप्त हुई है, जिसके सापेक्ष माह-08/2021 तक रू0-15.45 करोड़ उपभोग कर लिया गया है। परियोजना पर अब तक कुल 2127.35 करोड़ आवंटन के सापेक्ष 2084.00 करोड़ व्यय किया गया हैं।

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