दफ्तर के आसपास की सफाई कराने में डीएफओ की नहीं है दिलचस्पी

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  जिला मुख्यालय बैढ़न के वन मण्डलाधिकारी  कार्यालय परिसर का हाल

शक्तिनगर/सोनभद्र। स्वच्छ भारत अभियान को लेकर प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी संवेदनशील हैं। लेकिन प्रदेश सरकार के नुमाइंदे प्रधानमंत्री  के इस महत्वाकांक्षी मिशन के प्रति कितने संजीदा हैं। इसका जीता-जागता  उदाहरण जिला मुख्यालय बैढ़न के दो महत्वपूर्ण अधिकारियों के दफ्तर के ईर्दगिर्द, कचरे से पटी झाड़ियां  हैं। इस तरह के हालात कहीं दूर जाने की जरूरत नही है, बल्कि वन मण्डलाधिकारी दफ्तर के ईर्दगिर्द ठीक प्रवेश द्वार से गुजरने वाली नालियां हैं। जहां कचरे में ही उनका अस्तित्व मिटता जा रहा है।

डीएफओ की नजरे शायद इन कचरे से पटी नालियों पर नही पड़ रही है। जबकि डीएफओ एवं एसडीओ  सहित उक्त अधिकारियों का आना-जाना दफ्तर में बराबर है। दरअसल स्वच्छ भारत अभियान को लेकर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसे सफल बनाने के लिए अभी भी पूरी जोर-शोर से लगें हुये हैं। ताकि गांव, शहर, दफ्तर, रेलवे स्टेशन सब कुछ साफ-स्वच्छ रहें और गंदगी से बीमारियां न फैले। किन्तु आरोप है कि प्रदेश सरकार के नुमाइंदे ही प्रधानमंत्री की इस अभियान पर पलीता लगाने में पीछे नहीं दिख रहे हैं या फिर स्वच्छ भारत अभियान के प्रति गंभीर नहीं हैं। कागजी खानापूर्ति के लिए भले ही सक्रिय दिखे। लेकिन धरातल में उनकी संजीदगी कितनी है।  दफ्तर के बाहर बाउंड्री व प्रवेश द्वार के ईद गिर्द की नालियां ही अपने-आप में सब कुछ बयां कर रही हैं। हालांकि नालियों की साफ-सफाई कराने का जिम्मा नगर निगम को है। किन्तु चाहते तो नगर निगम के अफसरों को बोलकर साफ-सफाई कराने  के लिए दबाव बना सकते हैं। ऐसी चर्चाएं  उक्त विभाग के कर्मचारियों में भी है।

 परन्तु कचरे से पटी नालियों  को देखने से ही पता चलता है कि शायद कई महीनों से ननि के साफ-सफाई कर्मियों की नजर इन नालियों पर नही पड़ी और न ही  वन मण्डला अधिकारी साफ-सफाई कराने के प्रति संवेदनशील दिखे। इतना ही नही बाउंड्री के ठीक सामने प्रवेश द्वार के ईर्दगिर्द झाड़ियां भी हैं। इन झाड़ियों की भी सफाई पिछले कई महीनों से नही कराई गई है। लिहाजा वन मण्डल कार्यालय की बाउंड्रियां की सुन्दरताएं भी गायब हो चुकी हैं। फिलहाल प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान के प्रति दो जिम्मेदार अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर भी अब और जोर-शोर से तरह-तरह के सवाल उठने लगे हैं। साहवानों की साफ-सफाई को लेकर कब नींद टूटेगी और स्वच्छ भारत मिशन को सफल बनाने में अपनी कितनी भूमिका निभाएं। यह सवाल भविष्य के गर्त में है।

कृषि उपज मंडी परिसर में गंदगी का ढेर

बैढ़न के कृषि उपज मण्डी में सब्जी कारोबारी गंदगी करने में कोई कोर कसर नही छोड़ रहे हैं। आलम यह है कि परिसर में इस तरह की गंदगी फैल जाती है कि आने-जाने वाले लोग भी नाक सिकुड़ने के लिए मजबूर होना पड़ता है। बताया जाता है कि यहां सुबह से लेकर शाम तक सब्जी कारोबारी ही अपने रा सामग्रियों को फेंक देते हैं। जिसके चलते गंदगी चारो ओर नजर आने लगती है और सब्जी खरीदने आने वाले ग्राहक भी गंदगी को देख नाक सिकुड़ने लगते हैं।

डस्टबिन  का भी नहीं निकाला जाता है कचरा
डीएफओ दफ्तर के ठीक सामने बाउंड्रीवाल के बाहर एवं प्रवेश द्वार से चंद कदम दूर एक नहीं, बल्कि दो की संख्या में डस्टबिन भी रखी गई है। आलम यह है कि सभी डस्टबिन कचरे से भरी हैं। शायद डस्टबिन से कचरे को खाली करना ननि के सफाई कर्मी उचित नहीं समझ रहे हैं। लिहाजा डस्टबिन भी अब लावारिस की तरह नजर आने लगी हैं। आरोप है कि वन विभाग का अमला साफ-सफाई के प्रति गंभीर नहीं दिख रहा है। चर्चाएं हैं कि जब अपने दफ्तर के सामने एवं बाउंड्रीवाल के बाहर की साफ-सफाई कराने में रुचि नही ले सकता। तो ऐसे अधिकारी स्वच्छ भारत अभियान मिशन को सफल बनाने में कितने संवेदनशील होंगे। यह तो एक बानगी सामने आई है। वन परिक्षेत्र एवं वन चौकियों के आसपास कितनी साफ-सफाई होगी। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है।

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