बालको ने विश्व स्तनपान सप्ताह पर समुदाय में चलाया जागरूकता अभियान

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बालकोनगर। वेदांता समूह की कंपनी भारत एल्यूमिनियम कंपनी लिमिटेड (बालको) ने समुदाय की गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को सशक्त बनाने के उद्देश्य से जागरूकता अभियान के साथ विश्व स्तनपान सप्ताह मनाया। इस वर्ष की थीम ‘क्लोजिंग द गैप: ब्रेस्टफीडिंग सपोर्ट फॉर ऑल’ के अनुरूप महिला एवं बाल स्वास्थ्य जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए सत्र आयोजित की गई। इस अवसर पर ‘आरोग्य परियोजना’ के अंतर्गत शिशुवती माताओं और गर्भवती महिलाओं को बच्चों के पोषण और स्तनपान के महत्व से परिचित कराया गया।

कार्यक्रम के दौरान बच्चे के लिए पहले 1,000 दिनों में मां के दूध का महत्व और कंगारू देखभाल जैसी उन्नत देखभाल तकनीकों पर जागरूकता प्रदान की गई। अभियान में मातृ एवं शिशु दोनों के बेहतर स्वास्थ्य और स्तनपान को अनुकूलित करने के लिए प्रसव से पहले महिलाओं के शरीर को तैयार करने पर भी चर्चा की गई। कार्यक्रम में 500 से अधिक गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं ने भाग लिया।

कार्यक्रम के समापन में कंपनी ने स्तनपान कराने वाली माताओं को सम्मानित और समर्थन देने का काम किया। अभियान ने स्तनपान प्रथाओं को बढ़ावा देने तथा इसे बनाए रखने में परिवार, समुदाय और स्वास्थ्य सेवा कार्यकर्ता की महत्वपूर्ण भूमिका को बताया गया। साप्ताहिक पहल में माताओं और गर्भवती महिलाओं की सक्रिय भागीदारी देखी गई।

बालको के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं निदेशक राजेश कुमार ने कहा कि गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा तक सभी की पहुँच एक समृद्ध समुदाय बनाने के हमारे दृष्टिकोण का केंद्र है। विभिन्न पहल के माध्यम से हम महत्वपूर्ण स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान करने के साथ लोगों को एक स्वस्थ जीवन, आत्मनिर्भर भविष्य तथा सशक्त बनाने के लिए कटिबद्ध हैं। मातृ एवं बाल स्वास्थ्य का समर्थन करके हम अपने समुदाय की भलाई को बढ़ावा दे रहे हैं। हम सुनिश्चित कर रहे हैं कि समुदाय के प्रत्येक माता एवं शिशु एक स्वस्थ और समृद्ध जीवन व्यतीत कर सके।

कोरबा की महिला एवं बाल विकास कार्यक्रम अधिकारी सुश्री रेणु प्रकाश ने अपना अनुभव साझा करते हुए कहा कि बच्चे का पोषण माँ की भलाई से जुड़ा हुआ है। महिला एवं बाल विकास लक्ष्यों के अनुरूप बालको की पहल माताओं को अपने स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने के लिए सशक्त बनाती है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि उनके बच्चों को उनकी ज़रूरत के अनुसार पोषण मिले। मुझे विश्वास है कि प्रतिभागी इन सीखों को स्वयं तथा अपने बच्चों की देखभाल के लिए अधिक प्रभावी ढंग से लागू करेंगी।

पथरीपारा की लाभार्थी रेजिना लिंगा ने बताया कि इस सत्र से कंगारू केयर तकनीक ने मातृत्व के प्रति मेरे दृष्टिकोण को बदल दिया है। कंगारू केयर पद्धति में सिखाया गया की अपने बच्चे को शरीर से लगाकर रखने से मातृ एवं शिशु के रिश्ते मजबूत होते हैं साथ ही मेरे बच्चे की समग्र विकास के लिए भी महत्वपूर्ण है। सत्र के दौरान मिले मार्गदर्शन ने एक माँ के रूप में मेरा आत्मविश्वास बढ़ाया है जिससे मुझे अपने बच्चे की उचित देखभाल करने में मदद मिली है।

समुदाय के प्रति समर्पित बालको की आरोग्य और नंद घर पहल, मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य के प्रति सामाजिक-आर्थिक विकास और कल्याण को बढ़ावा देने पर केंद्रित है। आरोग्य व्यापक स्वास्थ्य देखभाल सेवाएँ प्रदान करता है जो मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य, कुपोषण, एनीमिया और एचआईवी, टीबी और नशामुक्ति के बारे में जागरूकता पर केंद्रित है। नंद घर, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के सहयोग से प्री-स्कूल पोषण, उच्च-स्तरीय पाठ्यक्रम के साथ शिक्षा, डिजिटल शिक्षण उपकरण और बेहतर सुविधाओं को बढ़ाता है जिससे बच्चों के संज्ञानात्मक विकास और स्कूल उपस्थिति में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।

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