जिलाधिकारी, सीडीओ सहित छात्र/छात्राओं, जनमानस हुए विभाजन विभीषिका मौन सभा में शामिल
देश के बटवारे में विस्थापितों के संघर्ष और बलिदान की याद दिलाता है ‘‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस-जिलाधिकारी
भारत का विभाजन अभूतपूर्व मानव विस्थापन और मजबूरी में पलायन की दर्दनाक कहानी है-सीडीओ
‘‘छुक-छुक करते पीछे छुट गई विरासत, अधिकार और रिश्तेदारी’’-डीआईओ डॉ0 पंकज कुमार
भदोही / शासन के निर्देश के क्रम में स्वाधीनता दिवस की पूर्व दिवस 14 अगस्त को ‘‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’’ पर जिला पंचायत सभागार ज्ञानपुर में‘‘ अभिलेख/चित्र व पुस्तक प्रदर्शनी’’ का शुभारम्भ जिलाधिकारी विशाल सिंह, मुख्य विकास अधिकारी डॉ0 शिवाकांत द्विवेदी द्वारा किया गया। साथ ही संगोष्ठी व मौन सभा, एवं हर घर तिरंगा कार्यक्रम के अन्तर्गत झण्डा का वितरण भी किया गया।
विभाजन विभीषिका दिवस पर आयोजित संगोष्ठी में जिलाधिकारी विशाल सिंह ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी का संदेश पढ़कर सुनाते हुए बताया कि ‘‘देश के बटवारे के दर्द को कभी भुलाया नहीं जा सकता। नफरत और हिंसा की वजह से हमारे लाखों बहनों और भाईयों को विस्थापित होना पड़ा और अपनी जान तक गवानी पड़ी। उन लोगों के संघर्ष एवं बलिदान के याद में 14 अगस्त को ‘‘विभाजन विभीषिता स्मृति दिवस’’ के तौर पर मनाया जा रहा है। जिलाधिकारी विशाल सिंह ने ‘‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’’ की पृष्ठ भूमि पर प्रकाश डालते हुए बताया कि भारत का विभाजन अभूतपूर्व मानव विस्थापन और मजबूरी में पलायन की दर्दनाक कहानी है।
मुख्य विकास अधिकारी डॉ0 शिवाकांत द्विवेदी ने बताया कि यह मानव इतिहास की सबसे बड़ी विभिषिका थी। विश्व की किसी भी त्रासदी में इतनी बड़ी संख्या में न तो लोगों ने अपनी प्राण गवाये, न ही अपने घरो से उजाड़े गये। भारत के लाखों लोगों ने बलिदान देकर आजादी प्राप्त की थी। ऐसे समय पर देश का दो टुकड़ों में बट जाने का दर्द लाखों परिवारों में एक गहरे जख्म की तरह घर कर गया था।
जिला सूचना अधिकारी डॉ0 कज कुमार ने विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के उपादेयता व प्रासंगिकता पर बल देते हुए बताया कि अपनी मातृभूमि के उन परिवारों को नमन करते हुए जिन्हें भारत के विभाजन के दौर में अपने परिवार जन के प्राण न्यौछावर करने पड़े ऐसे लोगों के सघर्ष एवं बलिदान की याद में यह दिवस मनाया जाता है। उन्होंने बताया कि 20 फरवरी 1947 को ब्रिटिश प्रधानमंत्री क्लेमेंटएटली ने लंदन के हाउस ऑफ कॉमंस में घोषणा कर दी की 30 जून 1948 तक भारत को सत्ता का हस्तान्तरण कर दिया जायेगा। जिसके क्रम में वायसराय लार्ड माउण्ट वेटन ने 31 मई 1947 को लंदन से दिल्ली आया। 02 जून 1947 को विभाजन विषयक ऐतिहासिक बैठक में 14/15 अगस्त को पाकिस्तान एवं भारत को आजाद एवं 04 जून को पत्रकार सम्मेलन में जनसंख्या के स्थानान्तरण पर बल दिया। 18 जुलाई 1947 को ब्रिटिश संसद ने भारत का स्वतंत्रता अधिनियम पारित हुआ। उन्होंने अपने सम्बोधन में ’‘कभी यहॉ बाजार आबाद हुआ करते थे आज खंडहर पनाह भी नहीं दे पा रहे’’ के माध्यम से विस्थापन की दर्दनाक कहानी बया की। रावलपिंडी, कराची, लाहौर, आदि पाकिस्तान के शहरों से टेªनों में भरकर आने वाले गैर मुस्लमानों कि यात्रा वितांत का उल्लेख इन पक्तियों में किया-‘‘छुक-छुक करते पीछे छुट गई परम्पराएॅ, विरासत, अधिकार और रिश्तेदारी’’
उपरोक्त मार्मिक दस्तां की कहानी को सूचना विभाग द्वारा आयोजित अभिलेख व पुस्तक प्रदर्शनी में जीवंत किया गया, तथा जिलाधिकारी विशाल सिंह के नेतृत्व में अधिकारियों से लेकर छात्र/छात्राओं जनमानस द्वारा मौन श्रद्धाजलि के रूप में व्यक्त किया गया। अभिलेख व पुस्तक प्रदर्शनी से आम जनमानस को विभाजन की विभीषिका के विविध आयाम और जानकारियों से रूबरू हुए। प्रदर्शनी में विभाजन से सम्बन्धित विविध बैठके, कान्फ्रेस जनसभा आम लोगो की जीवन की विपदा आदि प्रसंगों को प्रदर्शित किया जाएगा। ताकि आमजन मानस भी विभाजन की त्रासदी को समझते हुए देश की प्रगति में योगदान सुनिश्चित कर सकें। विभाजन विभीषिका की दस्ता को उपस्थित अन्य जनप्रतिनिधि गणों ने जनता को समझाया।
जनपद के अन्य कई संस्थाओं, संगठनों, सहित जिला विद्यालय निरीक्षक व जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी के नेतृत्व में विभिन्न स्कूल, कालेजों में विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस पर विचार संगोष्ठी सहित अन्य कार्यक्रम आयोजित हुए।