ज्ञानपुर। जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने ग्राहक के साथ उपेक्षात्मक व्यवहार करने पर ARTO पर 10 हज़ार और टाटा मोटर्स फाइनेंस लिमिटेड पर 1 लाख 5 हजार रुपये जुर्माना लगाया। एआरटीओ को आदेश दिया कि 31 मई 2014 के बाद वाहन पर टैक्स वसूली फाइनेंस कंपनी से की जाए। आदेश का अनुपालन कराने के लिए ARTO को 30 दिन जबकि फाइनेंस कंपनी को 60 दिन का समय दिया गया है। निर्धारित अवधि में अनुपालन न होने पर धनराशि का भुगतान 12 प्रतिशत ब्याज के साथ देना होगा।
मामले के अनुसार बनौली महाराजगंज भदोही निवासी विनोद कुमार मिश्रा ने 15 जून 2021 को उप संभागीय परिवहन अधिकारी प्रशासन भदोही और मेसर्स टाटा मोटर्स फाइनेंस लिमिटेड पोखरण रोड थाणे को पक्षकार बनाते हुए उपभोक्ता अदालत में मामला दर्ज करवाया। बताया कि टाटा मोटर्स की ओर से परिवादी के हाइपोथैकेटेड वाहन के सरेंडर करने के बावजूद नए खरीदार के नाम पंजीयन न कराए जाने के कारण आरटीओ भदोही ने उपभोक्ता को मार्ग कर का नोटिस भेज दिया है।
टाटा मोटर से बार-बार कहने के बावजूद वाहन नए वाहन स्वामी के पक्ष में स्थानांतरण न करने पर परिवादी को मानसिक शारीरिक कष्ट के लिए 1 लाख रुपये और मुकदमे के खर्च के रूप में 50 हजार रुपये दिलाए जाएं। आयोग ने टाटा मोटर्स फाइनेंस कंपनी और ARTO को नोटिस भेजा। ARTO की ओर से आयोग में कोई मौजूद नहीं हुआ। इस कारण मामला एक पक्षीय सुने जाने का आदेश पारित किया गया।
फाइनेंस लिमिटेड की ओर से जवाब दाखिल किया गया कि जिम्मेदारी से बचने के लिए मुकदमा दाखिल किया गया है, जो काल बाधित है। जिला उपभोक्ता आयोग की पीठ में दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं की बहस सुनी गई। पत्रावली का अवलोकन किया गया। जिला उपभोक्ता आयोग ने निर्णय में कहा है कि विपक्षी गण की ओर से परिवादी की सेवा में कमी की गई है।
टाटा मोटर्स की लापरवाही के कारण विपक्षी संख्या एक ARTO को यह अवसर मिला कि वह नोटिस जारी कर सके। अतः आर्थिक, मानसिक, शारीरिक क्षति की प्रतिपूर्ति के रूप में टाटा मोटर्स से 1 लाख रुपये और मुकदमा खर्च के लिए 5 हजार दिलाया जाना न्यायोचित होगा। इसके अलावा जिला उपभोक्ता आयोग ने निर्णय में कहा है कि उपभोक्ता को विपक्षी संख्या एक ARTO की उपेक्षा के कारण मानसिक रूप से परेशाना होना पड़ा। इसलिए ARTO की तरफ से 10 हजार दिलाया जाना उचित है।
आयोग के न्यायाधीश अध्यक्ष संजय कुमार डे और महिला सदस्य दीप्ति श्रीवास्तव ने परिवादी के मामले को आंशिक रूप से स्वीकार कर निर्णय पारित किया।