ज्ञानपुर। कालीन नगरी के लोगों ने एक साल में करीब 50 करोड़ की दवाएं खा ली है। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के मुताबिक एक साल में जिले के 211 सरकारी अस्पतालों में 12 करोड़ की दवा की खपत हो चुकी है। वहीं अगर इसमें प्राइवेट अस्पताल और निजी मेडिकल के दुकानों को भी शामिल कर लिया जाए तो यह आंकड़ा करीब 50 करोड़ के आसपास पहुंच जाएगी। जिले में एक साल में 58.54 लाख बुखार के दवाओं की और हड्डियों के दर्द की दवा की खपत भी 9.88 लाख की हुई है। 30 से 35 करोड़ के करीब निजी अस्पतालों व मेडिकल स्टोर से दवाओं की खपत हुई है।
बदलती जीवन शैली और मशीनों के बढ़ते प्रयोग ने लोगों की सेहत पर बुरा असर डाला दिया है। अनियमित खानपान और दिनचर्या के कारण हर घर में कोई न कोई आये दिन बीमारी से जूझ रहा है। वहीं मौसम के साथ अन्य प्रभावों के कारण लोग बीमार पड़ते जा रहे हैं। जिले की लगभग 20 लाख की आबादी के स्वास्थ्य सुविधा की जिम्मेदारी 3 बड़े अस्पतालों के साथ 6 सीएचसी और 17 प्राथमिक स्वास्थ्य केद्रों के अलावा 195 उपस्वास्थ्य केंद्र या हेल्थ वेलनेस सेंटर पर हैं। इन सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर बीते एक साल में 12 करोड़ की दवाओं की खपत हो चुकी है।
इस लिहाज से देखा जाए तो कालीन नगरी के लोग एक साल में 50 करोड़ की दवाएं खा गए। विभागीय आंकड़ों के अनुसार एक साल में 58 लाख 54 हजार रुपये की बुखार की दवाएं और 9 लाख 88 हजार हडि्डयों के दर्द की दवाओं की 100 एमजी टैबलेट की खपत सबसे अधिक हुई है। इसके अलावा रेबीज इंजेक्शन के 7 हजार 400 वॉयल की भी खपत हुई। वहीं अन्य दवाओं पर स्वास्थ्य विभाग को भारी भरकम राशि खर्च करनी पड़ी है।
वर्जन: मरीज को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा का लाभ मिले, यह प्राथमिकता है। हर स्वास्थ्य केंद्र पर पर्याप्त मात्रा में दवाओं की उपलब्धता कराई जाती है। स्वास्थ्य केंद्र से दवा का ऑर्डर मिलने पर तत्काल दवा भेजा जाता है। इसमें किसी तरह की लापरवाही नहीं बरती जाती। – डॉ. एसके चक, सीएमओ।