शिव भक्त एव पशु पालक थे बेचूबीर यादव…… 

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बाघ से लड़ते लड़ते हुई थी उनकी मौत आज उनकी चौरी पर लाखों लोग टेकते है मत्था 

अहरौरा, मिर्जापुर / जिस बेचूबीर की चौरी पर आज लाखों लोग मत्था टेकने आते हैं वे बेचू यादव शिव भक्त एव पशु पालक थे तथा झाड़फूक के माध्यम से लोगों का उपचार करते थे।वर्तमान में जरगो जलाशय में विलीन गुलरिहवा गांव निवासी बेचूबीर यादव लगभग तीन सौ वर्षो पूर्व जब गुलरिहवा गांव के दक्षिण तरफ स्थित बरही गांव एक घनघोर जंगल था उस समय वह जंगल में रहकर पशु चराते थे और भगवान शिव की भक्ति करते हुए तंत्र विद्या के माध्यम से लोगों की झाड़ फूंक करते थे।

बेचू यादव के वंशज एव बेचूबीर मेला व्यवस्थापक रोशन लाल यादव ने बताया की अत्यंत ही साहसी एव हिम्मत रखने वाले बेचू यादव पर एक रात बाघ ने हमला बोल दिया और बेचू यादव काफी लड़े लेकिन अपनी प्राण नही बचा पाएं उस समय उनके साथ एक पालतू कुत्ता रहता था जो उनके मौत की खबर लेकर घर आया और उनकी पत्नी को संकेत के माध्यम से बताते हुए आंचल खींच कर वहा तक ले गया।रोशन लाल यादव ने बताया की उस समय उनकी पत्नी को 12 दिनों का एक बच्चा भी था वे जंगल में गई और वहां का दृश्य देख अवाक रह गई तथा अपने बारह दिनों के बच्चें के साथ वही सती हो गई जिनकी चौरी बरहिया माई के नाम से मौजूद हैं।

बताया जाता है की कुछ दिनों बाद बेचू यादव ने परिजनो को स्वप्न दिया की तुम लोग मेरी चौरी बनाकर पूजा अर्चना करो जो पुजा करेगा उसका कल्याण होगा और परिजन पूजा अर्चना करने लगे यह देख आसपास के लोग भी श्रद्धा पूर्वक पूजन अर्चन करने लगें आज पुत्र प्राप्ति की कामना भूत प्रेत से छुटकारा सहित अन्य मनोकामनाओं को लेकर लाखों लोग कार्तिक अष्टमी से लेकर कार्तिक नवमी तक मत्था टेकते हैं और कार्तिक एकादशी की भोर चार बजे मनरी बजने के बाद चौरी से दिया जाने वाला चावल प्रसाद के रुप में लेकर अपने अपने घर को वापस लौट जाते हैं। भूत प्रेत से पीड़ित महिलाए चौरी के सामने खेलती हबुआती भी है  देखा जाता हैं की दूर दूर से आने वाली महिलाए जो भूत प्रेत से पीड़ित होती है वह जब वह भक्सी नदी एव पटपड़ नदी से सन्नान्न करके आती है और चौरी के सामने फूल माला लेकर बैठती तो खेलने हबुआने लगती है।

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