अयोध्या धाम आध्यात्मिक तथा सांस्कृतिक दृष्टि से वैश्विक नगरी के रूप में अपनी पहचान पुनस्र्थापित कर रहा-योगी आदित्यनाथ

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मुख्यमंत्री ने अयोध्या में 43वें रामायण मेले का शुभारम्भ किया, श्रीराम कथा पर आधारित वार्षिक पत्रिका का विमोचन किया

अयोध्या सनातन धर्म की पावन पुरियों में प्रथम पुरी, इस धरा ने हजारों वर्षों से विश्व मानवता के कल्याण का मार्ग प्रशस्त किया: मुख्यमंत्री

लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि अयोध्या सनातन धर्म की पावन पुरियों में प्रथम पुरी है। इस धरा ने हजारों वर्षों से विश्व मानवता के कल्याण का मार्ग प्रशस्त किया है। अयोध्या दुनिया के लिए मार्गदर्शक है। यह ऐसी भूमि है, जिस पर किसी ने कभी आक्रमण करने का दुस्साहस नहीं किया। यह दुनिया में चल रहे द्वन्द्व के समाधान की भूमि है। राग द्वेष तथा किसी भी प्रकार की अनावश्यक चेष्टा से मुक्त व्यवस्था कैसे आदर्शों तथा मर्यादाओं द्वारा संचालित हो सकती है, इसकी आदर्श पृष्ठभूमि इस धरा ने रची थी। यह हमारा सौभाग्य है कि श्री हरि विष्णु जी के अवतार के रूप में मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम ने इसी अयोध्या धाम में महाराज दशरथ के घर में उनके पुत्र के रूप में जन्म लिया। उनका अयोध्या के प्रति भाव किसी से छुपा नहीं है। उन्होंने न केवल अयोध्या पुरी बल्कि यहां के नागरिकों के बारे में भी अपनी कृपा तथा अनुराग व्यक्त किया।

मुख्यमंत्री आज जनपद अयोध्या में रामकथा पार्क में 43वें मेले का शुभारम्भ करने के पश्चात अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। इस अवसर पर उन्होंने रामायण मेले से सम्बन्धित तथा श्रीराम कथा पर आधारित वार्षिक पत्रिका का विमोचन किया। ज्ञातव्य है कि चार दिवसीय रामायण मेला 05 से 08 दिसम्बर, 2024 तक आयोजित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि प्रभु श्रीराम का भाव प्रत्येक सज्जन पुरुष को संरक्षण देने का रहा है। यही कारण है कि एक बार फिर से अयोध्या धाम आध्यात्मिक तथा सांस्कृतिक दृष्टि से वैश्विक नगरी के रूप में अपनी पहचान पुनस्र्थापित कर रहा है। पूरी दुनिया तथा देश इस कार्य से अभिभूत है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने प्रभु श्रीराम को अपना आदर्श माना है। यदि हम उनके उच्च आदर्शो से प्रेरणा प्राप्त कर सके तो हमारे जन्म और जीवन धन्य हो जाएंगे। व्यक्तिगत जीवन में व्यक्ति, परिवार, समाज तथा देश के प्रति उच्च मूल्य और आदर्श होने चाहिए। जब राजा दशरथ ने प्रभु श्रीराम से कहा कि भले ही कैकेयी ने उनसे दो वचन प्राप्त किए हैं, लेकिन तुम उन्हें अनदेखा कर अयोध्या की राजगद्दी सम्भालो तो प्रभु ने कहा कि नहीं वह ऐसा नहीं कर सकते, क्योंकि भले ही उन्हें अयोध्या की राजगद्दी प्राप्त हो जाएगी, लेकिन आने वाली पीढ़ियों के सामने अच्छा आदर्श स्थापित नहीं हो पाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रभु श्रीराम ने देश तथा समाज को उत्तर से दक्षिण तक जोड़ने तथा सामाजिक संगठन के माध्यम से देश की एकता व अखण्डता को सुदृढ़ करने का कार्य किया। वह किष्किन्धा राज्य जीतते हैं, लेकिन राज्याभिषेक सुग्रीव का करते हैं। लंका को जीतते हैं, लेकिन राज्याभिषेक विभीषण का करते हैं। यह प्रभु श्री राम का आदर्श है। यह सब इसीलिए सम्भव हो सका क्योंकि प्रभु श्रीराम ने पूरे समाज को जोड़ा था। यदि हमने जोड़ने के कार्य को महत्व दिया होता व समाज के दुश्मनों की सामाजिक विद्वेष बढ़ाने तथा समाज को तोड़ने की रणनीति सफल नहीं होने देते तो, यह देश कभी गुलाम नहीं होता। हमारे तीर्थ अपवित्र नहीं होते। चंद मुठ्ठी भर आक्रांता भारत को पद्दलित करने का दुस्साहस नहीं कर पाते।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार ने वर्ष 2017 में अयोध्या में रामायण मेले के आयोजन तथा दीपोत्सव के कार्यक्रम को आगे बढ़ाया। दीपोत्सव के कार्यक्रम ने नई ऊंचाई प्राप्त की है। गत वर्ष दीपोत्सव के कार्यक्रम में दुनिया के 54 देशों के राजदूत तथा दूतावास के अधिकारीगण आए थे।
रामायण मेले को नई ऊंचाई पर ले जाने की आवश्यकता है। जो लोग हमारे इतिहास को नहीं जानते वह अपने अनुसार तिथि निकालते हैं। 5000 वर्ष पूर्व महाभारत हुई तथा इससे हजारों वर्ष पूर्व प्रभु श्रीराम का अयोध्या धाम में अवतरण हुआ। हजारों वर्षों की विरासत को हमारे ऋषि-मुनि, संत तथा विद्वान अपनी स्मृति का हिस्सा बनाकर आगे बढ़ा रहे हैं।
इस अवसर पर कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही सहित अन्य जनप्रतिनिधिगण, महंत कमलनयन दास , जगतगुरु रामानन्दाचार्य स्वामी रामदिनेशाचार्य महाराज, जगतगुरु रामानुजाचार्य स्वामी राघवाचार्य जी महाराज, महंत अवधेशदास जी महाराज, डाॅ0 रामविलास वेदान्ती जी महाराज तथा अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। इसके उपरान्त मुख्यमंत्री ने श्रीराम जन्मभूमि मन्दिर तथा श्री हनुमानगढ़ी मन्दिर में दर्शन-पूजन किया। मुख्यमंत्री जी जानकी महल में आयोजित श्रीराम जानकी विवाहोत्सव कार्यक्रम में भी सम्मिलित हुए। उन्होंने कार्यक्रम में उपस्थित श्रद्धालुओं को सम्बोधित भी किया।

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