– साहित्यकारों व पत्रकारों को किया गया सम्मानित
– गाँव गिराॅव सोनभद्र संस्करण के तेरहवें स्थापना दिवस पर “आजादी के 75 वर्ष के संदर्भ में पत्रकारिता तब और अब” विषयक संगोष्ठी का हुआ आयोजन
सोनभद्र। राबर्ट्सगंज नगर पालिका सभागार में बुधवार को आयोजित गाँव गिराॅव हिन्दी दैनिक सोनभद्र संस्करण के तेरहवें स्थापना दिवस के अवसर पर “आजादी के 75 वर्ष के संदर्भ में पत्रकारिता तब और अब” विषयक संगोष्ठी को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि पूर्व विभागाध्यक्ष हिंदी विभाग काशी हिंदू विश्व विद्यालय डाक्टर चौथी राम यादव ने कहा कि वर्तमान समय में मीडिया रूपी चौथा स्तंभ लड़खड़ा गया है। जिसकी वजह से प्रिंट व इलेक्ट्रानिक मीडिया की विश्वसनीयता दिन प्रतिदिन समाप्त होती जा रही है। मीडिया का काम अब वैकल्पिक मीडिया कर रही है| सत्ता के विरुद्ध कुछ भी लिखना अपराध की श्रेणी में आ गया है तब ऐसी पत्रकारिता नहीं थी| जनहित के मुद्दे उठाना पत्रकारिता का मुख्य लक्ष्य होता था| आज की सत्ता परस्त पत्रकारिता पत्रकारों के लिए शुभ संकेत नहीं है।
उन्होंने कहा कि आजादी के पहले की पत्रकारिता मिशन रही, क्योंकि उस समय के पत्रकार निर्भीक व निडर होकर देश भक्ति के प्रति समर्पित रहकर कार्य करते थे। उनको यह जानकारी होती थी कि मेरी मौत हो सकती है, फिर भी उसकी परवाह नहीं करते थे और अपने मिशन में लगे रहते थे। वर्तमान समय में एकदम विपरित कार्य मीडिया का हो गया है। वर्ष 2014 के बाद से मीडिया की हालत अंग्रेजों की गुलामी से भी बदतर हो गई है। सरकार की ओछी मानसिकता का सवाल उठाते हुए श्री यादव ने पूछा कि आजादी के अमृत काल का ढिंढोरा पीट रही सरकार सन् 1947 से आजादी को मानती है या आजादी 2014 से यह सवाल पूछा जाना चाहिए|
मुख्य वक्ता वरिष्ठ पत्रकार एवं समाजवादी चिंतक योगेंद्र नारायण ने कहा कि आजादी के पहले के पत्रकारों के कार्य से उनको हमेशा याद किया जाता है। लेकिन वर्तमान में वैसे पत्रकार ग्रामीण क्षेत्रों में ही मिलेंगे, क्योंकि शहरी क्षेत्रों में अब वह विश्वसनीयता नहीं रह गई है। सोनभद्र के जुझारू पत्रकारों को याद करते हुए उन्होंने कहा कि जंगलों से विस्थापित हो रहे लोगों की समस्या से पत्रकारों का भावनात्मक जुड़ाव था उनकी समस्या को उठाना पत्रकारों का दायित्व था|
विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ पत्रकार एवं पूर्व अध्यक्ष काशी पत्रकार संघ कृष्णदेव नारायण राय ने पत्रकारिता के क्षेत्र में आई गिरावट के लिए जनमानस की मानसिकता से जोड़ कर उसकी व्याख्या की| प्रलोभन में डूबी जनता आज झूठ को ही सच समझ रही है | श्री राय ने कहा कि खबरों की जो विश्वसनीयता पहले थी वह अब नहीं रही|
वरिष्ठ पत्रकार, लेखक सुरेश प्रताप ने कहा की पहले लिखने का नाम पत्रकारिता थी अब बोलने की कला पत्रकारिता कही जा रही है| अखवारों में प्रुफ रीडर सम्पादक जैसे पद समाप्त हो गये हैं| उन्होंने आजकल की पत्रकारिता को चाटुकारिता और सत्ता की गोद में बैठे राग दरबारी की संज्ञा दी|
वरिष्ठ साहित्यकार रामनाथ शिवेंद्र ने कहा कि उद्देश्य परक पत्रकारिता का दौर समाप्त होना लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है | आजादी के समय पत्रकारिता की भूमिका राष्ट्रहित में थी तो आज सत्ता हित में, ऐसे में जनहित की बात कौन करेगा| वरिष्ठ साहित्यकार पारस नाथ मिश्र ने भी पत्रकारिता में आये बदलाव पर चिंता व्यक्त करते हुए विस्तृत प्रकाश डाला । इसके पूर्व कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि एवं अन्य अतिथियों द्वारा मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। इसके बाद सभी अतिथियों का माल्यार्पण, बैज लगाकर स्वागत किया गया। इसके अलावा सभी लोगों को अंग वस्त्र व स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। मुख्य अतिथि ने कवि अशोक तिवारी, कवि विकास वर्मा, कवि प्रदुम्न त्रिपाठी, पत्रकार राजेश कुमार पाठक, साहित्यकार दीपक केसरवानी, अनुपम वाणी व इशहाक खान को अंगवस्त्र व स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया । स्वागत भाषण संपादक श्रीधर द्विवेदी व आभार प्रकाश महेन्द्र प्रसाद गाॅधी ने किया। आयोजक स्थानीय सम्पादक रामप्रसाद यादव ने धन्यवाद ज्ञापित किया| कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार डाक्टर अर्जुन दास केसरी व सफल संचालन वरिष्ठ लोक कवि जगदीश पंथी ने किया। इस अवसर पर उपस्थित गणमान्यजनों में सर्वश्री चंद्रकांत शर्मा, राकेश शरण मिश्र,वीके मिश्र, सुनील तिवारी, रविंद्र केसरी, आशीष अग्रवाल, सचिन गुप्ता,डाक्टर वीरेंद्र बिंद, अरविंद त्रिपाठी, अशोक जायसवाल, अमित पटेल, जनरंजन द्विवेदी, मनीष पाठक, हरिद्वार पटेल, सोयेब अख्तर राकेश कुमार ,सुंदर केसरी आदि मौजूद रहे।