प्रदेश सरकार के प्रयासों के परिणामस्वरूप विभिन्न जनपदों के 25 विकास खण्ड भूजल की अतिदोहित श्रेणी से बाहर निकले: मुख्यमंत्री

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मुख्यमंत्री ने भूजल सप्ताह के अवसर पर ‘अटल भूजल योजना’ के अन्तर्गत विभिन्न जनजागरूकता कार्यक्रमों के प्रचार-प्रसार हेतु विकसित किये गये

डिजिटल भूजल रथ’ के फ्लैग ऑफ कार्यक्रम को सम्बोधित किया

लखनऊ:  मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि उत्तर प्रदेश एक कृषि प्रधान व्यवस्था का प्रदेश है। यहां पर आजीविका का मुख्य स्रोत कृषि और कृषि से सम्बन्धित क्षेत्र है। प्रदेश में लगभग 70 प्रतिशत कृषि और 80 प्रतिशत पेयजल आपूर्ति का मुख्य स्रोत भूजल है। जैसे-जैसे मनुष्य की आवश्यकता बढ़ी, हमने अनियंत्रित और अवैज्ञानिक आधार पर भूगर्भजल का दोहन करना प्रारम्भ किया। जिसके कारण प्रदेश में बहुत से क्षेत्रों में भूजल की गम्भीर समस्या खड़ी हो गई थी। बहुत से विकास खण्ड डार्क जोन घोषित हो गये थे। विगत 05 वर्षों में प्रदेश सरकार के प्रयासों के परिणामस्वरूप आज विभिन्न जनपदों के 25 विकास खण्ड भूजल की अतिदोहित श्रेणी से बाहर निकले हैं। इस प्रकार प्रदेश के अन्दर भूजल संरक्षण के लिए अनेक क्षेत्रों में प्रारम्भ किये गये कार्यक्रमों के बेहतर परिणाम सामने आये हैं।
मुख्यमंत्री आज यहां अपने सरकारी आवास पर भूजल सप्ताह के अवसर पर ‘अटल भूजल योजना’ के अन्तर्गत विभिन्न जनजागरूकता कार्यक्रमों के प्रचार-प्रसार हेतु विकसित किये गये ‘डिजिटल भूजल रथ’ के फ्लैग ऑफ कार्यक्रम में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। इससे पूर्व मुख्यमंत्री जी ने कार्यक्रम का शुभारम्भ दीप प्रज्ज्वलन से किया। मुख्यमंत्री जी ने डिजिटल भूजल रथ को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। ज्ञातव्य है कि भूजल सप्ताह का आयोजन दिनांक 16 जुलाई, 2022 से 22 जुलाई, 2022 के बीच किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश में भूगर्भीय जल प्रबन्धन और विनियमन अधिनियम-2019 प्रख्यापित किया गया है। इसमें प्रधानमंत्री जी द्वारा दी गयी थीम ‘कैच द रेन’ को आगे बढ़ाने का कार्यक्रम प्रदेश में शुरू किया गया है। इसे केवल 10 जनपदों तक सीमित न रखकर पूरे प्रदेश में लागू किया गया। विशेषकर वर्षा का जो जल बह जाता है, उसकी एक-एक बूंद के संरक्षण के लिए रेन वॉटर हॉर्वेस्ंिटग की कार्यवाही को आगे बढ़ाया गया। कल प्रधानमंत्री जी ने बुन्देलखण्ड एक्सप्रेसवे राष्ट्र को समर्पित किया है। बुन्देलखण्ड एक्सप्रेसवे में हर 500 मीटर की दूरी पर रेन वॉटर हॉर्वेस्ंिटग की व्यवस्था सुनिश्चित की गयी है। प्रदेश में विकास प्राधिकरणों द्वारा शासकीय भवनों में अनिवार्य रूप से रेन वॉटर हॉर्वेस्ंिटग की व्यवस्था की जा रही है।  
मुख्यमंत्री ने कहा कि भूगर्भ जल संरक्षण का यह कार्यक्रम केवल राजकीय कार्यक्रम न बने, बल्कि आम जनमानस को भी इस पवित्र कार्यक्रम से जोड़ा जाना चाहिए। जल है तो जीवन है और बिना जल के जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। इस दृष्टि से यह एक महत्वपूर्ण अभियान है। इसीलिए हमने पूरे प्रदेश को इस अभियान के लिए चुना है। उन्होंने कहा कि अगर वर्षा की प्रत्येक बूंद के संरक्षण का प्रयास करेंगे तो काफी बड़े पैमाने पर खारे पानी की समस्या का समाधान भी एक समय सीमा में करने में सफलता प्राप्त होगी।
इस अवसर पर जल शक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह, कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही, जल शक्ति राज्य मंत्री रामकेश निषाद, अपर मुख्य सचिव एम0एस0एम0ई0 एवं सूचना नवनीत सहगल, प्रमुख सचिव नमामि गंगे एवं ग्रामीण जलापूर्ति अनुराग श्रीवास्तव, प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री एवं सूचना संजय प्रसाद तथा सूचना निदेशक शिशिर सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

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