इतिहास और साहित्य के पाठ्यक्रम में माध्यमिक एवं उच्च शिक्षा के स्तर पर अनेक परिवर्तन किये जाने को अनुचित बताते हुए साझा संस्कृति मंच और शिक्षा का अधिकार अभियान ने प्रधानमंत्री को इस मामले में हस्तक्षेप करने का अनुरोध करते हुए ज्ञापन प्रेषित किया है. ज्ञापन में सामाजिक कार्यकर्ताओं ने बिहार के नालंदा जिले में उपद्रवी तत्वों द्वारा मदरसे को जलाए जाने को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए इस कांड के दोषियों के विरुद्ध तत्काल दंडात्मक कार्यवाही की भी मांग की.
इस अवसर पर सामाजिक कार्यकर्ताओं ने बताया कि इतिहास और साहित्य दोनों विद्यार्थी के व्यक्तित्व के निर्माण के लिए आवश्यक हैं इसमें अनावश्यक परिवर्तन से युवा दिग्भ्रमित होगा. महाकवि सूर्यकांत निराला को पाठ्यक्रम से हटा कर गुलशन नंदा और मधुशाला पढाने के पीछे तथाकथित शिक्षाविदों का क्या मंतव्य है यह समझ के परे हैं. इसी प्रकार इतिहास के कुछ काल को हटाने से अपने देश की विरासत और हमारे नायकों के संघर्ष की अनेक गाथाएँ जानने से बच्चे वंचित रह जायेंगे.
सामाजिक कार्यकर्ताओं ने बिहार के नालंदा जिले में मदरसा जलाने जैसे घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाने की मांग करते हुए कहा कि युवाओं का रोजगार छीनकर उन्हें दंगाई बनाने की घिनौनी साजिश चिंता का विषय है. अल्पसंख्यक समाज पर लगातार हमले बढ़ रहे हैं. मस्जिदों-गिरजाघरों को हिंसक भीड़ के हवाले कर दिया जा रहा है. ऐसी घटनाएं सभ्य और लोकतांत्रिक समाज के खिलाफ हैं। इससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश की निरपेक्ष छवि धूमिल होती है.
जिलाधिकारी के प्रतिनिधि के माध्यम से ज्ञापन काशी के सांसद एवं प्रधानमंत्री को प्रेषित किया गया.
इस अवसर पर फादर आनंद, डॉ आरिफ, सतीश सिंह, महेंद्र राठौर, मनोज यादव, धनंजय, वल्लभ, इंदु, विकास सिंह, अनूप श्रमिक, मनोज, अमित, रामजन्म, प्रमोद, अबु हाशमी, सचिदानंद, मुकेश आदि उपस्थित रहे.