रायपुर/छत्तीसगढ़ राज्य की विशेष पिछड़ी जनजातियों में पंडो जनजाति का नाम प्रमुखता से आता है। यह जनजाति राज्य के दूर-दराज इलाकों में निवास करती है, जहां मूलभूत सुविधाओं का अभाव और शासन की योजनाओं तक पहुंच की समस्या लंबे समय से बनी हुई थी। इस समस्या का समाधान करने के लिए छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में सूरजपुर जिला प्रशासन द्वारा महत्त्वपूर्ण कदम उठाया गया है।
सूरजपुर जिले में पंडो जनजाति को मूलभूत सुविधाओं और शासन की जनकल्याणकारी योजनाओं से जोड़ने के लिए विशेष शिविरों का आयोजन संपूर्णता अभियान के तहत प्रत्येक बुधवार को किया जा रहा है, जो कि उनकी विकास यात्रा में एक निर्णायक पहल साबित हो रही है।
मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने सदैव समाज के सबसे पिछड़े और हाशिए पर खड़े समुदायों के विकास पर विशेष ध्यान देने की बात कही है। उनकी यह मान्यता है कि समाज के हर वर्ग को समान अवसर और सुविधा मिलनी चाहिए, चाहे वह किसी भी भौगोलिक स्थिति में क्यों न हो। पण्डो जाति के लिए विशेष शिविरों का आयोजन इनके विकास की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है। विशेष शिविरों के द्वारा इस जनजाति के प्रत्येक परिवार को शासकीय योजनाओं से जोड़ा जा रहा है। इन शिविरों का आयोजन 18 दिसंबर 2024 तक जिले के विभिन्न ग्राम पंचायत भवनों में किया जाएगा। इसके तहत हर परिवार का सर्वेक्षण कर पंडो परिवार की जानकारी एकत्रित कर उनकी आवश्यकता और उपलब्ध सुविधाओं का आकलन करने के बाद संबंधित विभागों द्वारा आवश्यक कार्यवाही की जा रही है। इन पंडो परिवारों को मूलभूत सुविधाओं और योजनाओं से शत-प्रतिशत संतृप्त करने के लिए शिविरों का रोस्टर और कार्ययोजना बनाई गई है। इस पहल से इस आदिवासी वर्ग के जीवन स्तर में निरंतर सुधार आ रहा है। शिविरों के आयोजन से पंडो जनजाति को स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार, आवास और आर्थिक सहायता की योजनाओं का लाभ विशेष शिविरों के माध्यम से उन्हें योजनाओं से जोड़ा जा रहा है।
इस योजना के संबंध में स्थानीय पंडो निवासी रामेश्वर पंडो ने बताया कि पहले हमें शासन की योजनाओं के बारे में सही जानकारी नहीं मिल पाती थी, और न ही हमें पूरी तरह से उनका लाभ मिल पाता था। लेकिन अब विशेष शिविरों के माध्यम से हमें सरकारी योजनाओं का लाभ मिल रहा है। हमारे परिवार को आवास योजना का लाभ मिला है, और हमें स्वास्थ्य बीमा भी मिला है। इससे हमारे जीवन में काफी सुधार हुआ है।