सोनभद्र, सिंगरौली। भारत के सबसे बड़े थर्मल पावर स्टेशन एनटीपीसी विंध्याचल जिसकी स्थापित क्षमता 4783 MW है, ने 2024 में पर्यावरणीय स्थिरता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को एक कदम आगे बढ़ाया है। इस वर्ष, संयंत्र ने अपने पारिस्थितिक प्रभाव को कम करने के उद्देश्य से कई महत्वपूर्ण पहल शुरू की हैं, जिनका उद्देश्य जैव विविधता संरक्षण, उत्सर्जन में कमी और स्थानीय पर्यावरण को बेहतर बनाना है।
एनटीपीसी विंध्याचल की 2024 की पर्यावरणीय पहलों के मुख्य बिंदु:
1. वृहद वृक्षारोपण अभियान- “एक पेड़- माँ के नाम”:
एनटीपीसी विंध्याचल ने एनटीपीसी विंध्याचल ने भारत सरकार की नई पहल”एक पेड़-माँ के नाम”के तहत पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में एक और महत्वपूर्ण कदम उठाया है। इस वर्ष अपने आस-पास के क्षेत्रों में 1 लाख से अधिक पौधों का रोपण किया है।इस पहल का उद्देश्य प्रत्येक कर्मचारी, अधिकारी और समुदाय के सदस्य के नाम पर एक पेड़ लगाकर हरित क्षेत्र को बढ़ावा देना और सामूहिक रूप से पर्यावरणीय जागरूकता को बढ़ाना है।एनटीपीसी विंध्याचल ने अभी तक 27 लाख से अधिक वृक्षारोपण कर पर्यावरण संरक्षण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। यह पहल स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली में योगदान देती है और क्षेत्र के हरित आवरण को बढ़ावा देती है। वृक्षारोपण अभियान स्थानीय समुदायों और वन विभाग के सहयोग से किया गया, जिससे सभी प्रजातियों के पौधे लगाए जा सके और मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार हो सके।
2. सौर ऊर्जा एवं जल विद्युत उत्पादन
एनटीपीसी विंध्याचल ताप विद्युत उत्पादन के अतिरिक्त 15 मेगावाट सौर ऊर्जा तथा 8 मेगावाट लघु जल विद्युत संयंत्र का संचालन करता है। इसका उद्देश्य, संयंत्र के कार्बन फुटप्रिंट को कम करने और देश की नवीकरणीय ऊर्जा के लक्ष्यों में योगदान करने की है।
3. जल संरक्षण और पुनर्चक्रण
जल संरक्षण एनटीपीसी विंध्याचल की प्राथमिकताओं में से एक है। संयंत्र ने उन्नत जल पुनर्चक्रण तकनीकों जैसे-AWRS, Zero Liquid Discharge(ZLD)एवं वर्षा जल संचयन प्रणालियों के माध्यम से अपने जल उपयोग में महत्वपूर्ण कमी की है। इन उपायों से पानी के कुशल उपयोग को सुनिश्चित किया गया है और स्थानीय जल संसाधनों पर निर्भरता कम की गई है।
4. वायु गुणवत्ता नियंत्रण और उत्सर्जन में कमी
एनटीपीसी विंध्याचल ने Sox और NOx उत्सर्जन नियंत्रण हेतु फ्लू गैस डिसल्फराइजेशन (FGD) सिस्टम एवं NOx जैसी उन्नत उत्सर्जन नियंत्रण तकनीकों में भारी निवेश किया है, जिससे सल्फर डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड उत्सर्जन में उल्लेखनीय कमी आई है। इसी कड़ी में मिस्ट फोगर मशीन तथा स्वचालित रोड क्लीनिंग मशीनका भी संचालन सुनिश्चित किया है जिससे की सड़क के आसपास परिवहन द्वारा उत्सर्जित होने वाली धूल को नियंत्रित किया जा सके। संयंत्र पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEF&CC) द्वारा निर्धारित सख्त पर्यावरण मानकों का पालन करता है।
5. CO2 से मेथनॉल परियोजना
एनटीपीसी विंध्याचल ने अपनी कार्बन कटौती की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए 10 TPD क्षमता की “CO2 से मेथनॉल” परियोजना की स्थापना भी कर रहा है। यह परियोजना भारत ही नहीं वरन विश्व की अपनी तरह की पहली परियोजना है। इस परियोजना का उद्देश्य संयंत्र द्वारा उत्पन्न कार्बन डाइऑक्साइड को मेथनॉल में परिवर्तित करना है, जो एक स्वच्छ ईंधन और औद्योगिक रसायन के रूप में उपयोग किया जाएगा। यह पहल न केवल ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करती है, बल्कि इसे पुनः उपयोग योग्य संसाधन में बदलने का मार्ग भी प्रशस्त करती है, जिससे आर्थिक और पर्यावरणीय दोनों लाभ होंगे।
जैसे-जैसे भारत हरित भविष्य की ओर बढ़ रहा है, एनटीपीसी विंध्याचल सतत ऊर्जा प्रथाओं में अग्रणी बना हुआ है, अपने बिजली उत्पादन के साथ पर्यावरण की जिम्मेदारी को भी संतुलित कर रहा है।