राम कथा का सातवां दिन
अहरौरा, मिर्जापुर/ श्री राधा कृष्ण मंदिर में चल रहे राम कथा के सातवें दिन कथा वाचक शांतनु जी ने मंगल विवाह के बाद राम वन गमन केवट प्रसंग कि कथा को सुनाया कथा सुन भक्त भावुक हो गए।
दासी मंथरा के द्वारा माता कैकेई से अपने पूर्व का वचन मांगने की याद दिलाया इसके कैकेई ने दशरथ से दो वरदान मागा ।वरदान में भरत को राजगद्दी राज्याभिषेक राम को चौदह वर्ष का वनवास ,महराज दशरथ यह सुनते ही मानो तन से प्राण निकल जाए महराज दशरथ ने अपने प्रणो से प्रिय राम को बुलाया और कहा बेटा आपकी माता कैकेई ने आपको वनवास और भरत को राज्याभिषेक के लिए विनती की हैं राम ने कहा कि पिता जी मेरी कौशल्या माता के समान ही तो कैकेई मां भी है उनकी आज्ञा का पालन करना मेरा कर्तव्य है ।
पिता से आशीर्वाद लेकर अनुज सहित सिया सुकुमारी समेत वन जाने को तैयार हो जातें हैं । गंगा नदी पर केवट को पुकारते हैं केवट राम का दर्शन पाकर धन्य हो जाता है और जल भर कर प्रभु के चरण रज को धोता है ।अपने नौका में बैठाकर प्रभु को गंगा पार करते हैं आज केवट उन्हें पार कराता है।नाव उतराई केवट ने कुछ नहीं मांगा मगर राम ने माता जानकी से आग्रह किया कि कुछ देना जरूरी है माता सीता ने अपनी मुद्रिका उतारी और केवट को दे दिया केवट मन ही मन हर्षाया और मैं धन्य हुआ ।