अनपरा।श्री अनंतेश्वर महादेव मंदिर प्रांगण में चल रही श्री मद्भागवत महापुराण के पंचम दिवस कथा व्यास पंडित बाला व्यंकटेश शास्त्री ने भगवान श्री कृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन करते हुए बताएं कि भगवान इस मृत्यू लोक में आकर गो चारण लीला किए हैं गो सेवा किए हैं बाल लीला में पूतना त्रिणावर्त इत्यादि राक्षसो का आक्रमण हुआ तो माता यशोदा एवम नन्द बाबा गाय की पूछ से झाड़ कर गाय के गोबर का टीका लगाई थी जब भगवान स्वयं गाय की सेवा किये और भगवान के ऊपर संकट आया राक्षसों का आक्रमण हुआ तो गाय के गोबर का टीका ही औषधि बनी।
तो हम सब यदि अपने जीवन में एक-एक गाय की सेवा करने का लक्ष्य बना लें तो निश्चित ही जीवन में ना तो कोई बीमारी आएगी और ना ही कोई संकट आएगा प्रतिदिन मात्र पांच मिनट का समय गाय के गर्दन के पास खुजलाने में देने लगे हाथ की लकीरें अपने आप बदल जाएगी गाय की पवित्रता का अंदाजा इसी से लगाया जाता है की गाय एकमात्र ऐसी प्राणी है जिसके मल और मूत्र का उपयोग पूजन पाठ में होता है भगवान श्री कृष्ण के वृंदावन की लीला गोचारण लीला हुई है भगवान वृंदावन गायों को चराने के लिए ही आए हैं भगवान वृंदावन गए तो वहां गायों की सेवा किये और हम सब वृंदावन जाते हैं फिर भी गाय की सेवा नहीं करते इसीलिए परेशान रहते हैं जिस समय ब्रह्मा जी भगवान श्री कृष्ण की परीक्षा लेना चाहे और गाय बछड़ों का हरण कर लिए तो भगवान स्वयं गाय बछड़े बनकर प्रकट हो गए थे और ब्रह्मा जी के अहंकार को नष्ट किये गाबो विश्वस्य मांतर: गाय विश्व की माता है इसके पूर्व महाराज श्री ने भगवान श्री कृष्णा की बाल लीला में माखन चोरी लीला मृद भक्षण लीला उलूखल बंधन लीला पर बड़े ही विस्तार से प्रकाश डालते हुए कालिय नाग के मान मर्दन चीर हरण के प्रसंग का वर्णन कर अंत में गोवर्धन पूजा के प्रसंग का बड़े ही विस्तार से वर्णन किये झांकी के माध्यम से गिरिराज जी की पूजा वैदिक मंत्रों के द्वारा संपन्न कराई गई इस अवसर पर भारी संख्या में उपस्थित भक्तगण भाव विभोर होकर कथा श्रवण किये।