नौगढ। रेशम फार्म की भूमि पशुओं का चारागाह बनने से रेशम उत्पादन के लिए रोपित अर्जुन व सहतूत के पेड़ पौधों को बहुत काफी क्षति पहुंच रही है। वहीं विभागीय उदासीनता से अतिक्रमणकारियों की सक्रियता से भूमि पर कब्जा दखल दिनों दिन बढता ही जा रहा है।काशी वन्य जीव प्रभाग रामनगर के जयमोहनी व मझगाई वन रेंज की सैकड़ों एकड़ आरक्षित वन भूमि रेशम विभाग को वर्षों पूर्व दी गई थी, जिसपर रेशम विभाग से सहतूत व अर्जुन का पौध रोपण करा कर रेशम कीट (कोआ) उत्पादन किया जा रहा था। बाद में रेशम विभाग की उदासीनता से अतिक्रमण कारियों की सक्रियता बढ कर भूमि पर अवैध कब्जा होना शुरू हो गया कि निरंतर जारी है।
क्षेत्र के जयमोहनी पोस्ता व जयमोहनी भरदुआं अमराभगवती इत्यादि जंगलों में रेशम कीट का उत्पादन होने से श्रमिकों को आय अर्जन का साधन बनता था।
नौगढ मे उपनिदेशक रेशम का कार्यालय होने पर भी अतिक्रमण कारियों को चिन्हित कर कार्रवाई करने मे विभाग शिथिलता बरत रहा है। पालतू पशुओं को रेशम कीट उत्पादन क्षेत्र में छोड़ कर चराए जाने से पेड़ पौधों को बहुत काफी नुकसान पहुंच रहा है।उपनिदेशक अशोक कुमार ने बताया कि प्रावधानों के अनुरूप रेशम कीट उत्पादन का कार्य करा कर पेड़ पौधों को जानवरों से सुरक्षित रख पाने के लिए सुरक्षा दीवाल व तार बाड़ लगाया जाता है। भूमि में अवैध रूप से कब्जा दखल करने एवं सुरक्षा दीवाल व तार बाड़ को क्षति पहुंचाने वाले अतिक्रमणकारियों को चिन्हित कर कार्रवाई की जाती है। मगर स्थिति यह है कि अब यह विभाग पूरी तरह निष्क्रिय हो गया है।