कवि सुनील सेठ की ‘रह गए अवशेष अब किस्से कहानी’ पुस्तक का हुआ भव्य लोकार्पण

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‘रह गए अवशेष अब किस्से कहानी’ कविता संग्रह में शहर और गांव की अनेक मीठी व सोंधी यादें हैं- प्रकाशक छतिश द्विवेदी ‘कुंठित’

वाराणसी। नगर के भोजूबीर, सरसौली स्थित ‘स्याही प्रकाशन’ व ‘उद्गार’ के सभागार में कवि सुनील सेठ द्वारा रचित कविता संग्रह ‘‘रह गए अवशेष अब किस्से कहानी’’ का भव्य लोकार्पण करते हुए पुस्तक के प्रकाशक छतिश द्विवेदी ‘कुंठित’ ने कहा कि सुनील सेठ की रचनाएं गांव और शहर के आसपास विचरण करती नजर आती हैं। कविता संग्रह में शहर और गांव की अनेक मीठी व सोंधी यादें हैं। यह पुस्तक जब भी किसी के हाथ में जाएगी वह पढ़े बगैर रह नहीं सकेगा।
कार्यक्रम का शुभारंभ मां वीणा वादिनी के प्रतिमा पर माल्यार्पण और दीप प्रज्वलन के पश्चात किया गया। विमोचन सभा में मुख्य अतिथि के रूप में प्रकाशक छतिश द्विवेदी ‘कुंठित’ के साथ आकाशवाणी वाराणसी के संयोजक दिनेश कुमार सिंह रहे और कार्यक्रम की अध्यक्षता डा0 दयाराम विश्वकर्मा ने की और विशिष्ट अतिथि के रूप में आचार्य आलोक द्विवेदी व साहित्यकार हीरालाल मिश्र मधुकर रहे। लोकार्पण करते हुए पुस्तक के विषय आलोक पर चर्चा करते हुए विद्वानो ने प्रकाश डालते हुये संग्रह के साहित्यिक उपयोगिता को समय से आगे सिद्ध बताया।
कार्यक्रम के प्रथम भाग में पुस्तक विमोचन व दूसरे भाग में कवि सम्मेलन का आयाोजन किया गया। जिसका सफल संचालन करते हुए वरिष्ठ कवि एवं पत्रकार डा0 लियाकत अली ने कहा कि सुनील सेठ द्वारा रचित पुस्तक समाज के दिशा और दशा देगी और उसका मार्गदर्शन करेगी। वहीं कार्यक्रम में सुनील सेठ ने मुख्य अतिथि और अध्यक्ष को माल्यार्पण कर अंगवस्त्र देकर स्वागत किया। सरस्वती वंदना के क्रम में कवियों द्वारा मां सरस्वती की स्तुति की गई। स्वगताचार्य कंचन सिंह परिहार ने किया। तत्पश्चात बड़ी पुस्तक का विमोचन एवं छोटी मूल पुस्तक का लोकार्पण अतिथियों के शुभ हांथों से हुआ।

तत्पश्चात वक्ताओं के वक्तव्य की कड़ी में पुस्तक पर प्रकाश डालते हुए पूर्व जिला विकास अधिकारी डाक्टर डीआर विश्वकर्मा ने कहा कि लेखक व रचनाकार सुनील सेठ की पुस्तक समाज में नई पीढ़ियों के लिए पथ प्रदर्शक साबित होगी। सुनील सेठ ने अपने विचारों से सबका मन मुदित किया हैं। जिस पर श्रोताओं ने तालियों की गड़गड़ाहट से उनका समर्थन किया। सभा के मुख्य अतिथि आकाशवाणी वाराणसी के संयाोजक दिनेश कुमार सिंह ने भी पुस्तक पर चर्चा किया। हीरालाल मधुकर ने भी कवि की किताब पर विधिवत प्रकाश डाला। प्रकाशकीय वक्तव्य में प्रकाशक छतिश द्विवेदी ‘कुंठित’ ने कहा कि पुस्तक लिखना इतना आसान नहीं है। इसमें कवि और लेखक के खून पसीने की हर एक बूंद की झलक मिलती है। उन्होंने पुस्तक पर विशेष रुप से प्रकाश डाला। धन्यवाद ज्ञापन हर्षवर्धन मंगाई ने दिया। तत्पश्चात कार्यक्रम का दूसरा सत्र प्रारंभ हुआ। जिसमें कवियों ने अपनी अपनी रचनाओं के माध्यम से सुनील सेठ की पुस्तक ‘रह गए अवशेष अब किस्से कहानी’ के विमोचन उत्सव पर समय का अभिनन्दन किया। काव्यपाठ करने वाले कवियों और कवयित्रियों में ध्रुव सिंह चौहान, डा0 ज्योतिभूषण मिश्रा, शिब्बी ममगाई, मााध्ुरी मिश्रा, कंचनलता चतुर्वेदी, डा. नसीमा निशा, खुशी मिश्रा, श्रुति गुप्ता, डा. कृष्ण प्रकाश श्रीवास्तव प्रकाशानन्द, नवलकिशोर गुप्ता, आशिक बनारसी, खलील अहमद राही, चन्द्रभूषण सिंह, कंचन सिंह परिहार, संतोष प्रीत, प्रसंन्न बदन चतुवेदी, दशरथ चौरसिया, रामनरेश पाल, नन्दलाल राजभर, सूर्य प्रकाश मिश्र, भुलक्कड़ बनारसी, जयप्रकाश मिश्र धानापुरी, आलोक सिंह बेताब, अखलाक भारतीय आदि के साथ लगभग सैकड़ों लोग शामिल रहे।

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