बबुरी । (के डी त्रिपाठी) शिक्षा दान महादान जैसी बात अब नहीं रही। शिक्षा का पूरी तरह व्यवसायीकरण हो गया है। आए दिन नए-नए निजी विद्यालय खुल रहे हैं। ए विद्यालय नहीं जैसे कोई दुकान हो। अंग्रेजी माध्यम और गुणवत्तायुक्त शिक्षा देने के नाम पर प्राइवेट स्कूलों में लूट खसोट है। निजी विद्यालय प्रबंधन की ओर से एडमिशन, ट्यूशन, विकास सहित अन्य शुल्क में 15 से 25 प्रतिशत तक बढ़ोतरी की गई है। प्रवेश, बिल्डिग, खेल, पानी, बिजली, चिकित्सा, ट्यूशन फीस के नाम पर नामांकन के समय ही मनमाना वसूली होती है। री-एडमिशन के नाम पर भी पैसा लिया जा रहा है। बच्चों का प्रवेश शुल्क, कापी, किताब, ड्रेस खरीदने में अभिभावक त्राहिमाम कर रहे हैं। यहां तक कि जेनरेटर शुल्क के नाम पर ली जाने वाली राशि में भी बढ़ोतरी की गई है। वहीं जिला प्रशासन भी इस पर मौन है। जिससे नगर के दर्जनों नामी निजी विद्यालयों पर न तो किसी तरह का सरकारी अंकुश है और न ही किसी तरह का दबाव ही। परिणाम हैं कि निजी विद्यालय के संचालक अपनी मर्जी फीस तय करते हैं और अभिभावकों से वसूलते हैं। हर निजी विद्यालय का अपना-अपना फीस है। इस पर किसी तरह का नियंत्रण नहीं दिखता है। जहां तक फीस की बात है तो हर स्कूल में अपने-अपने तरीके से फीस निर्धारित है। कुछ विद्यालयों में केजी से कक्षा आठ तक के लिए 1000 से 1500 रुपये महीना निर्धारित है। तो 8 से ऊपर कक्षा के लिए 1000 से 2200 रुपये तक। इसके अलावा कम्प्यूटर, परिवहन, बिजली आदि के नाम पर भी राशि वसूली जाती है। बिजली के नाम पर 1000 से 15000 तक, आईटी चार्जेस 400, मेंटेनेंस के नाम पर 3000 रुपये वसूल किए जाते हैं। स्कूलों में स्कॉलरशिप के नाम पर पहले से ही फॉर्म जमा करा लिया जा रहा है उसके बाद पैसा उजागीर किया जा रहा ।
फीस वृद्धि पर लगे लगाम, बोले अभिभावक
विद्यालय संचालकों द्वारा तरह-तरह के शुल्क के नाम पर जमकर वसूली की जा रही है। अभिभावकों की मांग है कि जिला प्रशासन उन पर नकेल कसे। बबुरी निवासी समाजसेवी दिनेश जायसवाल ने कहा कि प्राइवेट विद्यालयों में फीस वृद्धि का कोई मानक नहीं है। प्राइवेट विद्यालयों में नए प्रवेश पर तो वसूली की ही जाती है। अभिभावक अनिल मौर्य, रोहित, शशि प्रकाश गांधी, निधि यादव, गोपाल जी ने कहा कि निजी विद्यालयों द्वारा बिजली,पानी व अन्य सुविधाओं के नाम पर हजारों रुपये लिए जा रहे हैं। सरकार से संरक्षण प्राप्त ये विद्यालय सीबीएसई आइसीएससी की मान्यता प्राप्त कर खुलेआम लूट को अंजाम दे रहे हैं। शिक्षा दान का वह संकल्प अब नहीं रहा जिसे पहले लोग सेवा देने के लिए विद्यालय खोलते थे।