एनसीएल का रोज़ गार्डन है सिंगरौली इको पर्यटन का मुख्य आकर्षण केंद्र

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सोनभद्र, सिंगरौली/ एनसीएल का जयंत स्थित रोज़ गार्डन ईको पार्क सिंगरौली के पर्यटन को एक नया आयाम देने जा रहा है l वर्ष 2010 में स्थापित इस पार्क को पर्यटन हेतु हाल ही में नई एवं आधुनिक सुविधाओं के साथ एक नए कलेवर में शैलानियों के लिये प्रस्तुत किया है।

जयंत स्थित रोज़ गार्डन ईको पार्क को सर्वप्रथम 2010 में एनसीएल द्वारा स्थापित किया गया था, यह पार्क लगभग 27 एकड़ में फैला हुआ है जिसमें 6 किलोमीटर का पाथ-वे, 1.8 किलोमीटर का जॉगर पाथ-वे, विश्वस्तरीय स्विमिंग पूल, ओपन एयर थिएटर, टॉय ट्रेन, हरी घास से आच्छादित लॉन एरिया, एक विशाल तालाब एवं विविध फूलों एवं गुलाबों की अनेक किश्मो की क्यारियाँ पर्यटकों को लुभाने के लिये तैयार हैं।

• रोज़ गार्डन ईको पार्क में स्विमिंग पूल, पार्क में विभिन्न स्थानों पर आकर्षक कलाकृतियाँ, बर्ड आई व्यू के लिए वॉच टावर, नया ओपन एयर थियेटर, बच्चों की टॉय ट्रेन के लिए आकर्षक इंजिन, टॉय ट्रेन टनल के ऊपर बने पुल का विस्तार , बुजुर्गों के लिए सिटिंग एरिया, रेस्ट शेल्टर पवेलियन, सेल्फी प्वाइंटस, बास्केट बॉल कोर्ट, ओपन एयर जिम की व्यवस्था के साथ पार्क में बेहतरीन लाइट व म्यूजिक सिस्टम जैसी सुविधायें इस पार्क को राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित करता है ।

हाल ही में सीएमडी एनसीएल श्री भोला सिंह, निदेशक (कार्मिक एवं वित्त) श्री आर एन दुबे, मुख्य सतर्कता अधिकारी, एनसीएल श्री अमित कुमार श्रीवास्तव ने रोज़ गार्डन ईको पार्क का भ्रमण कर जायजा लिया एवम् परियोजना प्रबंधन को जरुरी दिशा निर्देश दिये।

सिंगरौली परिक्षेत्र में ईको पर्यटन को बढ़ावा देने हेतु एनसीएल ने मध्यप्रदेश टूरिज़्म के साथ एमओयू किया है। एनसीएल ने जयंत में मुड़वानी ईको पार्क को भी विकसित किया है । साथ ही निकट भविष्य में परिक्षेत्र की प्राकृतिक सुरम्यता को सहेजने एवं पर्यटन को बढ़ावा देने के क्रम में बीना क्षेत्र में चन्द्र शेखर आजाद ईको पार्क, निगाही में बरेजा पॉण्ड ईको पार्क एवं अन्य को विकसित करने जा रहा है।
एनसीएल, अपनी हरित खनन गतिविधिओं के जरिये इन पार्कों के विकास से एनसीएल सिंगरौली में पर्यटन के साथ रोजगार सृजन भी कर रही है।

एनसीएल कोयला उत्पादन कर देश की ऊर्जा सुरक्षा में अहम भागीदारी निभा रही है। एनसीएल की जयंत परियोजना एनसीएल ही नहीं अपितु कोल इंडिया की मेगा परियोजनाओं में से एक है जिसका देश के कोयला उत्पादन में अहम योगदान है। जयंतक्षेत्र सतत एवं नवाचारी खनन को प्रोत्साहित करते हुए , खदान डिजिटाइजेसन को भी अपना रहा है।

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