उत्पादित लागत खर्चा से भी कम कीमत में कोयला कंपनी द्वारा पावर प्लांट को बेचा जाता है – सुधीर घुरडे

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सोनभद्र। अरुण कुमार दुबे अध्यक्ष भारतीय कोयला खदान मजदूर संघ बीना द्वारा बतााया गया कि भारतीय मजदूर संघ के तत्वाधान में सार्वजनिक उद्योग समन्वय समिति द्वारा  17 नवम्बर 2022 को भारत सरकार द्वारा विनिवेश,निजीकरण,बढ़ते ठेकाकरण के विरोध में संसद भवन पर विशाल रैली,धरना प्रदर्शन जंतर मंतर पर किया गया।उसमे देश के सभी सार्वजनिक क्षेत्र से   हजार की संख्या में कामगारोनें भाग लिया।

प्रदर्शनकारी को संबोधित करते हुए अखिल भारतीय खदान मजदूर संघ के महामंत्री  सुधीर घुरडे ने कहा की कोल इंडिया के अंडरग्राउंड से कोल उत्पादित लागत खर्चा से भी कम कीमत में कोयला कंपनी द्वारा पावर प्लांट को बेचा जाता है।ताकि देश के जनता को बिजली सस्ती मिले, कोरोना महामारी के समय लगभग अन्य सभी निजी उद्योग बंद थे लेकिन ऐसे विपरित परिस्थिति में भी अपनी जान जोखिम में डालकर कोयला कर्मी ने देश की आवश्यकता के अनुरूप कोयला उत्पादन कर देश को रोशन किया है। कोयला कामगरोका 11 वा वेतन समझौता 17 महीने बितने के बाद भी लंबित है,उसके लिए प्रबंधन,सरकार गंभीर नही है कोल कामगारों का सीएमपीएफ का 727.67 करोड़ रुपया का घोटाला डीएचएफएल कंपनी द्वारा घोटाला किया गया संगठन द्वारा सरकार से उचित जांच कर कर दोषियों पर उचित कारवाही कर पूरा पैसा वसूल करने संबधी दबाव देने के बावजूद  अभी तक कारवाही नही किया गया।कोल इंडिया की अनुषंगी कंपनी के २० प्रतिशन विनिवेश का प्रस्ताव भी प्रबंधन द्वारा पारित किया गया,श्रम कानूनों में भी अभितक आवश्यक सुधार नहीं किया गया।ठेका मजदूरों का आर्थिक,सामाजिक शोषण पर पूरी तरह अंकुश लगाकर उन्हें जॉब सिक्युरिटी मिलना चाहिए।

कोयला उद्योग लगातार लाभ अर्जित कर देश के आर्थिक विकास में ऐतिहासिक योगदान रहने के बावजूद  भी यह सरकार सार्वजनिक उद्योग में निजीकरण, विनिवेश,ठेकाकरण को बढ़ावा दे रही है,भारतीय मजदूर संघ उपरोक्त सभी उद्योग एवं मजदूर विरोधी नीति का पुरजोर विरोध करता है। इस विशाल धरना प्रदर्शन के बाद भी सरकार अगर अपने नीति में बदलाव नहीं करती है तो भारतीय मजदूर संघ भविष्य में तीव्र आंदोलन करेगा ।फलस्वरूप उत्पन्न स्थिति के लिए सरकार जिम्मेदार रहेगी।

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