छत्तीसगढ़ के 21 परिवार जम्मू – कश्मीर के ईट भट्टे पर कैद,कोई सुध नहीं ले रहा

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छत्तीसगढ कैद हुआ जम्मू एंड कश्मीर के ईंट भट्टों मे,*”मजबूर परिस्थियों को सरकार समझे एवं टास्क फोर्स गठित करे”*

रायपुर,/ छत्तीसगढ़ के 21 परिवार आज जम्मू एंड कश्मीर के बडगांव जिले में स्थित 191 ईट मार्का भट्टे पर बंधुआ मजदूरी के शिकार हो चुके हैं किंतु कोई सुध नहीं ले रहा है। 

जांजगीर चांपा जिले के 20 परिवार एवं बलोदा बाजार जिले के 1 परिवार के कुल 90 मजदूर जिनमें महिलाएं एवं बच्चे शामिल है उनसे आज जम्मू कश्मीर के चडूरा थाना क्षेत्र के अंतर्गत चल रहे मगरेपुरा गांव में स्थित ईंट भट्टे में जबरन काम करवाया जा रहा हैं। नेशनल कैंपेन कमिटी फॉर इरेडिकेशन ऑफ बॉन्डेड लेबर ने 9 सितम्बर, 2022 को बडगाम जिले के डिप्टी कमिश्नर को शिकायत की जिसकी प्रतिक्रिया में डिप्टी कमिश्नर ने जल्दी ही करवाही का आश्वासन दिया है किंतु 24 घंटे से ज्यादा समय हो चुका है पर कोई करवाही नही हुई। साथ ही जांजगीर चांपा जिले के जिलाधिकारी को भी 9 सितम्बर, 2022 को शिकायत पत्र ईमेल के माध्यम से भेजा गया किंतु प्रशासन की ओर से कोई जवाब नही आया। 

बंधुआ मजदूर मायावती ने बताया की हम सभी अनुसूचित जाति के मजदूर है और हमे मई 2022 में बड़गाम जिले में लाया गया जहा हमे रू.10,000 एडवांस देकर कर्ज में फसा लिया। प्रत्येक परिवार के मजदूरों जिनमे महिलाओं और बच्चों ने भी दिन रात काम करके कर्जा उतार दिया किंतु मालिक हमसे 10000 की एवज में साल भर काम करवाना चाहता है। हम दिन रात ईंट बना रहे जहा कोई हमारे काम का हिसाब किताब हमे नही बताया जा रहा है। हमारे काम का पूरा दाम हमे नही मिल रहा है। मैने 90000 ईंट बनाई जिसकी कीमत 81,000 रुपए हुई और मुझे चार महीने में कुल 15000 रुपए खर्च का मिला बाकी का पैसा मालिक हमे नही देगा इसलिए मैं अपने परिवार सहित छत्तीसगढ जाना चाहती हू। 

सरस्वती देवी बंजारे ने बताया की मैं गर्भवती हूं मुझे हॉस्पिटल जाना होता है । केवल एक बार हॉस्पिटल गई हु किंतु पैसा न होने से वापस नहीं जा पाई। मालिक मुझे हॉस्पिटल जाने के लिए खर्चा नहीं देता है। मैं इस भट्टे में काम नहीं करना चाहती हू पर मालिक जबरन मुझे काम करवा रहा है। 

जीतराम 15 वर्षीय बालक ने बताया की उसने अपने परिवार के साथ मिलकर 1,30,000 ईंटे बनाई क्योंकि 15000 रुपए एडवांस कर्जा मालिक ने जीतराम के पिता को दिया था जिसे जीतराम ने भी काम करके उतारा पर मात्र 25,000 रुपए खर्चे के रूप में वगत चार माह में मिला। जीतराम के पिता ने मालिक से बोले की 40,000 रुपए काट कर 1,17,000 रुपए दे दीजिए तो मालिक ने मारने की धमकी दी इसलिए जीतराम और उसका परिवार काम नहीं करके वापस छत्तीसगढ जाना चाहता है किंतु मालिक व ठेकेदार भट्टे से कही नही जाने देता है। 

कार्तिक राम ने अब तक 1,32,000 का काम कर लिया किंतु मालिक मेहनत के एवज में मजदूरी का पैसा देने से मना कर रहा है। 

सुरेश गीतावारे ने बताया की हमारे मजदूर महिलाओं के साथ लैंगिक अपराध हो रहे है। हमने पुलिस बुलाई किन्तु मालिक ने सब रफा दफा कर दिया। पुलिस उल्टा पीड़िता को धमका कर चली गई। सुरक्षित स्थान न होने से सुरेश भी अपने परिवार के साथ छत्तीसगढ़ जाना चाहता है किंतु भट्टे में हो रही बंधुआ मजदूरी से मुक्ति नहीं मिल रही है। 

नेशनल कैंपेन कमिटी फॉर इरेडिकेशन ऑफ़ बॉन्डेड लेबर के कन्वीनर निर्मल गोराना ने बताया कि छत्तीसगढ़ के मजदूरों को अंतर्राजीय प्रवासी मजदूर कानून 1979 के तहत दोनो ही राज्यो में से कही पर भी पंजीकृत नहीं किया गया एवं मजदूरों को एडवांस देकर अर्थात कर्जा देकर उस कर्ज को उतारने के लिए मजदूरों से जबरन काम करवाया जा रहा है, मजदूरों के मूवमेंट एवं एम्प्लॉयमेंट में स्वतंत्रता नहीं होने के कारण यह बंधुआ मजदूरी प्रथा उन्मूलन अधिनियम 1976 एवं संविधान के आर्टिकल 23 के सीधे उल्लंघन का मामला ईंट भट्ठा मालिक और ठेकेदार के खिलाफ बनता है । साथ ही नाबालिक बच्चों से जबरन काम लेना, महिलाओं के साथ लैंगिक अपराध और अनुसूचित जाति के लोगों के साथ अत्याचार का मामला भी गंभीरता से लिया जाना चाहिए। छत्तीसगढ़ की सरकार तत्काल इस मामले में संज्ञान लेकर एक टीम गठित करके जम्मू एंड कश्मीर के बड़गांव जिले में बंधुआ मजदूरों को मुक्त करवाने के लिए भेजें और बंधुआ मजदूरों के बयान दर्ज करवा कर उन्हें सामाजिक न्याय में दिलाने में अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाए। 

नेशनल कैंपेन कमिटी फॉर इरेडिकेशन ऑफ़ बॉन्डेड लेबर ने हजारों छत्तीसगढ़िया मजदूरों को पंजाब, हरियाणा, जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश एवं दिल्ली जैसे राज्यों से मुक्त करवाकर छत्तीसगढ़ पुनर्वास हेतु भेजा गया किंतु आज तक छत्तीसगढ़ की सरकार किसी भी मुक्त बंधुआ मजदूर को पूर्ण पुनर्वास नहीं प्रदान कर पाई है जिसकी वजह से यह तमाम मुक्त मजदूर दोहरे बंधुआ मजदूर बनकर फिर किसी ईट भट्टे या निर्माणाधीन क्षेत्र में नजर आते हैं। छत्तीसगढ़ की सरकार को खेतिहर मजदूरों को मौसमी कार्य दिया जाना चाहिए और इसके लिए नरेगा सबसे महत्वपूर्ण और कारगर होगा जिसके उचित क्रियान्वयन की आवश्यकता है। छत्तीसगढ़ सरकार भूमिहीन मजदूरों को सम्मानजनक रोजगार हेतु भूमि देकर पलायन को कम कर सकती है इसी के साथ सरकार बंधुआ मजदूरों की मुक्ति हेतु एक टास्क फोर्स गठित करे इस काम में एनसीसीईबीएल किंटीम सहयोग करेगी। 

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