तीन तीन लोकसभा और विधानसभाओं की सीमाओं से सटे हुए लोगों को नहीं है स्वास्थ्य सेवाओं की आवश्यकता
रोहित वर्मा/आशीष
चन्दौली/बबुरी – चंदौली जनपद के बबुरी क्षेत्र में मरीजों के इलाज के लिए बन रहे दो चिकित्सालय अधर में लटके हुए हैं। एक तरफ जहां नये निर्माण हो रहे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का निर्माण सात वर्षों ठप पड़ा है वहीं 40 वर्ष पूर्व बने सत्यनारायण सिंह राजकीय चिकित्सालय चिकित्सको व सुविधाओं के अभाव में बंद पड़ा है। क्षेत्रीय जनो का आरोप है कि करोड़ों रुपये खर्च हो जाने के बावजूद इसका लाभ ग्रामीणों को नहीं मिल पा रहा है। जबकि बबुरी क्षेत्र में बनने वाला अस्पताल प्रदेश की तीन तीन लोक व विधान सभाओं के लोगों की स्वास्थ्य से संबंधित सेवाओं के लिए वरदान साबित हो सकता है । ब्लॉक संघर्ष समिति के द्वारा यह मुद्दा लगातार स्थानीय सांसद व केंद्रीय मंत्री के साथ-साथ दोनों विधायकों के समक्ष भी उठाया गया साथ ही संघर्ष समिति के संयोजक कालिदास त्रिपाठी ने उक्त मुद्दे को प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री से फरवरी 2020 में ही हल कराने की मांग की थी लेकिन अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हुई बीच-बीच में प्रभारी मंत्रियों के दौरे में भी संघर्ष समिति द्वारा ग्रामीणों के स्वास्थ्य से संबंधित उक्त मामले को गंभीरता से उठाया गया लेकिन किसी ने कोई ध्यान नहीं दिया।
सरकारी धन का दुरुपयोग कैसे किया जाता है वह जनता को मरने के लिए कैसे छोड़ दिया जाता है उक्त दोनों का उदाहरण बबुरी स्थित स्वास्थ्य केंद्र हैं। जनता चिकित्सा स्वास्थ्य सेवाओं के अभाव में दम तोड़ रही है लेकिन सरकार के कानों पर कोई जू तक नहीं रेंग रही। कोरोना के इस भीषण काल में ग्रामीण व स्थानी नागरिक अपने स्वास्थ्य को लेकर काफी परेशान दिखते हैं बबुरी स्थित उक्त द्वय चिकित्सालय यदि कार्य कर रहा होता तो कितने लोग काल कालवित होने से बच गए होते। इस मामले में जब स्थानीय विधायक साधना सिंह से बात करने की कोशिश की गई तो उन्होंने कहा कि उक्त मामला जांच के दायरे में है लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया कि यह जांच कब पूरी होगी। इसी के सम्बंध में जब जिलाधिकारी व मुख्य चिकित्साधिकारी से बात करना चाहा तो उन्होंने व्यस्त होने की बात कह फोन काट दिया।
आखिरकार कब तक स्थानीय नागरिक राजनैतिक प्रतिद्वंद्विता का शिकार होते रहेंगे , जबकि प्रदेश में और देश में दोनों जगह भाजपा सत्तानसी हैं। केंद्रीय मंत्री का लोकसभा क्षेत्र होते हुए भी एक हॉस्पिटल विगत 7 सालों में व एक विगत 40 वर्षों में भी नहीं बन पाया इसके लिए जिम्मेदार कौन है क्या स्थानीय जनता को संविधान ने स्वस्थ्य रहने का अधिकार नहीं दिया है या बबुरी परिक्षेत्र के लोग उक्त स्वास्थ्य संबंधित सेवाओं का लाभ पाने की पात्रता नहीं रखते हैं।
आपको बता दें कि बबुरी स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के निर्माण को लगभग चार करोड़ रुपये 2014 में स्वीकृत हुआ। तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने 23 जनवरी 2014 को उक्त भवन का शिलान्यास किया। इसके निर्माण का समय एक वर्ष दिया गया था। निर्माण कार्य में धन की कमी ना होने पाए इसलिए वर्तमान सरकार ने भी इसके लिए लगभग 2 करोड़ों रुपए ओ मुक्त किया था लेकिन शिलान्यास के सात वर्ष बीत गए पर अभी तक भवन आधा अधूरा पड़ा हुआ है। ग्रामीणों की शिकायत पर तत्कालीन मुख्य चिकित्साधिकारी ने भवन का स्थलीय निरीक्षण कर ठेकेदार को काली सूची में डालने व तत्काल निर्माण कराने का आश्वासन दिया था लेकिन आश्वासन के वर्षों बाद भी अस्पताल का निर्माण अधर में लटका हुआ है।
गौरतलब है कि 1983 में बबुरी में सत्यनारायण सिंह राजकीय चिकित्सालय का तत्कालीन रेल मंत्री पंडित कमलापति त्रिपाठी द्वारा उद्घाटन किया गया था। उद्घाटन के 40 वर्ष बाद भी वहां किसी चिकित्सक की नियुक्ति नहीं हुई। इसके लिए क्षेत्रीय ग्रामीणों ने काफी आंदोलन किया था जिसमें दो लोगों को महीनों तक जेल की हवा भी खानी पड़ी थी।
बताते चले कि पूरे क्षेत्र में कोई सरकारी चिकित्सालय न होने के कारण लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। चिकित्सालय न होने के कारण ग्रामीणों को प्राइवेट और स्थानीय अप्रशिक्षित डॉक्टरों के यहाँ इलाज कराना पड़ता है। एक तरफ जहां बड़े डॉक्टर मरीजों को देखने से परहेज कर रहे हैं वही गरीब ग्रामीणों की मदद के लिए यही स्थानीय प्रशिक्षित डॉक्टर ही दिन रात एक किए हुए हैं ऐसे में सरकार को यह चाहिए कि इन अप्रशिक्षित डॉक्टरों का विधिवत प्रशिक्षण करा कर उनको भी स्वास्थ्य सेवाओं के लिए अनुबंधित किया जाए जिससे लोगों को स्वास्थ्य लाभ मिल सके।
जब हमने स्थानीय नागरिक एडवोकेट जय प्रकाश मिश्रा से इस बारे में बात की तो उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार यह नहीं चाहती है कि यह स्वास्थ्य केंद्र बने यदि यह स्वास्थ्य केंद्र का निर्माण पूर्ण हुआ तू इसका लाभ उन्हें नहीं मिलेगा इसलिए वह इस कार्य को नहीं होने देना चाहते। इसी क्रम में अशफाक और तलहा ने कहा कि यह सरकार लोगों के स्वास्थ्य सेवाओं के साथ खिलवाड़ कर रही है, वही बबुरी व्यापार मंडल के अध्यक्ष पंकज जायसवाल ने कहा कि स्थानीय जनप्रतिनिधियों मैं इसे बनवाने को लेकर कोई सरोकार नहीं है इसीलिए यह अभी तक लंबित पड़ा हुआ है।