बढ़ती उम्र के साथ होने वाली सांस की बीमारी अब कम उम्र वालों को भी होने लगी है। फेफड़ा भी काफी कमजोर होते जा रहा है। जिसकी बड़ी वजह अस्थमा है। बीएचयू अस्पताल के साथ ही अन्य अस्पतालों में भी 30 साल से कम उम्र वाले मरीज भी अस्थमा की शिकायत लेकर आये दिन पहुंच रहे हैं। डॉक्टर बदलती जीवनशैली और खानपान के साथ धूल, धुएं से बढ़ते प्रदूषण को इसका कारण बता रहे हैं। वैसे डॉक्टरों के अनुसार अस्थमा के अधिकांश मामले अनुवांशिक होते हैं। बीएचयू सहित अन्य अस्पतालों में हर दिन 100 से ज्यादा मरीज देखने को मिल रहे हैं।
प्रति वर्ष मई के पहले मंगलवार को विश्व अस्थमा दिवस के रूप मे मनाया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य अस्थमा के प्रति लोगों को पूरी तरह से जागरूक करना होता है। अस्थमा की बीमारी अब काफी ज्यादे सामने आने लगी है और अधिक से अधिक लोगों की जांच कर उन्हें बेहतर उपचार प्रदान किया जा रहा है।
ओपीडी में मिलते हैं 15 से 20 नये मरीज
बीएचयू अस्पताल के टीबी एंड चेस्ट डिपार्टमेंट के डॉ. दीपक शाह ने बताया है कि ओपीडी में आने वाले 200 से 250 मरीजों में 60 से 70 मरीज अस्थमा के आते हैं। जिसमे 30 से कम उम्र वालों की संख्या 15 से 20 के करीब होती है। यह संख्या एक दो सालों में कुछ बढ़ी है। दो साल पहले तक यह संख्या 10 से 12 रहती थी। मरीजों को इस बीमारी से बचाव करने के प्रति जागरूक किया जाता है।
जांच के साथ ही मिल रही मरीजों की सही जानकारी
शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र शिवपुर में टीबी एंड चेस्ट विशेषज्ञ डॉ. अरुण यादव का कहना है कि अस्थमा के ज्यादातर मामले अनुवांशिक होते हैं। जांच का दायरा बढ़ने से मरीज भी काफी संख्या में सामने आ रहे हैं। स्वास्थ्य केंद्र पर रोजाना 12 से 15 लोग ऐसे पहुँच रहे हैं, जिनकी उम्र 20 से 25 साल ही रहती है। ऐसे लोगों को समय से जांच कराने के साथ ही घर में अगर कोई अस्थमा का मरीज है तो डॉक्टर के संपर्क में बने रहने की सलाह भी दी जाती है।
इन सावधानीयों को बरतें
- बाहर निकलें तो धूल, धुएं से बचाव के लिए मॉस्क का प्रयोग करें।
- डॉक्टर की सलाह के बिना किसे भी दवा का सेवन न करें।
- अगर घर में पहले से अस्थमा का कोई मरीज है तो विशेष रूप से सतर्कता बरतें।