मैनहोल में जान गवां देने वाले सफाईकर्मी को जो चेक दिया उस खाते में पैसे नहीं खबर छपने के बाद जल निगम प्रशासन की कुंभकर्णी नींद टूट गई। सोमवार की देर रात पहुंचे ठेकेदार और अधिकारियों ने पत्नी चंदा देवी को तुरंत 19 लाख रुपये का चेक दिया। साथ ही अधिकारियों ने बैंक खाते में पैसा भिजवाने की बात भी कही।
भैंसासुर घाट पर जल निगम के अधिकारियों व लीलावती कंस्ट्रक्शन कंपनी की लापरवाही से सीवर सफाई के दौरान सफाईकर्मी घूरेलाल की मौत हो गई थी। पत्नी को घटना वाले दिन एक लाख रुपये नकद और 10 लाख रुपये का चेक दिया गया था। घटना के अगले दिन शनिवार को जब पत्नी ने बैंक में चेक लगाया तो खाते में रुपये ही नहीं थें जिसके कारणवश चेक क्लीयर नहीं हो पाया। रविवार को बैंक बंद था।
सोमवार को बैंक खुलने पर सुबह पुन: पत्नी चेक लगाने गई थी, लेकिन तब तक खाते में रुपये आये ही नहीं थें। इस वजह से वह वापस लौट आई। देर रात 10 बजे ठेकेदार बबलू सिंह, जल निगम के एई संतोष आर्य, जेई गोविंद यादव घर गए और 19 लाख रुपये का चेक दिया। जल निगम के सहायक अभियंता नीरज सिंह ने बताया कि सोमवार की सुबह 12:30 बजे खाते में पैसा ट्रांसफर कर दिया गया है। शनिवार को पैसा न होने से चेक क्लीयर नहीं हुआ था। खाते में पूरे 29 लाख रुपये डाल दिए गए हैं।
उधर मजिस्टि्रयल जांच कर रहे डिप्टी कलेक्टर माल पिनाक पाणि द्विवेदी ने बताया कि सभी पक्षों का बयान लिया गया है। परिवार वालों को हर संभव मदद दिलाया जाएगा। उत्तर प्रदेश स्थानीय निकाय एवं राज्य सफाई कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष सोनचंद्र बाल्मिकी ने कहा कि यदि परिवार को मुआवजा नहीं मिला तो वे आंदोलन करने लगेंगे।
सीवर में उतारने से पहले नहीं खोले गए थे आसपास के ढक्कन
सीवर का कार्य कराने वाले विशेषज्ञों के अनुसार कभी भी सीवर की सफाई के दौरान यदि कोई व्यक्ति नीचे जाता है तो पहले जिस सीवर में उतरता है उसके आसपास के तीन चार सीवर के ढक्कन को खोलना अति आवश्यक होता है। ताकि उसमें भरी जहरीली गैस बाहर निकल सके।
जहरीली गैस का पता लगाने के लिए नहीं डाली गई जलती लालटेन
नीचे भेजने से पहले लालटेन को जलाकर नीचे डाला जाता है। यदि अंदर कोई जहरीली गैस होती है तो लालटेन बुझ जाती है। ऐसी स्थिति में आधे से एक घंटे इंतजार किया जाता है। इसके बाद यह प्रक्रिया दोबारा अपनाई जाती है। जब जली लालटेन उसी अवस्था में बाहर निकलती है। तभी व्यक्ति को अंदर भेजा जाता है। लेकिन भैंसासुर में ऐसा नहीं किया गया था। जिसके परिणामस्वरूप घूरेलाल सीवर सफाई के दौरान अपनी जान गवानी पड़ गई।