ट्रांसजेंडर डे ऑफ रिमेम्ब्रेंस के अवसर पर प्रिज्मैटिक इण्डिया ने आयोजित की पत्रकार वार्ता
वाराणसी/ पराड़कर भवन वाराणसी में प्रिज्मैटिक इण्डिया की ओर से ट्रांसजेंडर दिवस के अवसर पर एक महत्वपूर्ण पत्रकार वार्ता का आयोजन किया गया ।
वार्ता को संबोधित करते हुए संस्था की ओर से नीति ने ट्रांसजेंडर डे ऑफ रिमेम्ब्रेंस के आयोजन के विषय में विस्तार से बताया | ट्रांसजेंडर समुदाय के अधिकारों के लिए हिंसा झेलने और अपनी जान की कुर्बानी देनेवालों की स्मृति में दुनिया भर में हर साल 20 नवंबर को रिमेम्ब्रेन्स डे मनाया जाता है । 1999 में इस दिन को मनाने की शुरुआत की गई । ट्रांसजेंडर रीटा हेस्टर की हत्या 1998 में मैसाचूसट्स में हुई थी । रीटा अमेरिकन-अफ्रीकन महिला थीं और वह ट्रांसजेंडर समुदाय के अधिकारों की मुखर आवाज थीं।
भारत की बात करें तो 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों की संख्या 4,87,803 है । ये लोग खुद को ‘पुरुष’ या ‘महिला’ के तौर पर नहीं, ‘अन्य’ के तौर पर आइडेंटिफाई करते हैं। ट्रांस व्यक्तियों के शोषण और उनपर होने वाले अत्याचार के ढेरों केसेज हैं जो की सामने आ भी नहीं पाते है | इस हिंसा शोषण और अत्याचार के विरुद्ध संघर्ष करने के लिए जज्बा जुटाने के दिन के रूप में रिमेम्ब्रेंस डे को यंहा बनारस में भी मनाया जा रहा है |
ट्रांसजेंडर नागरिको की समस्या पर बात रखते हुए रणधीर ( जो की स्वयं ट्रांसजेंडर नागरिक पहचान पत्र प्राप्त हैं ) ने बताया की किसी बहुत सम्पन्न पैसे वाले घर मे भी कोई एक सदस्य बीमार मरणासन्न पड़ा हो तो क्या उस परिवार में कोई खुश रह सकता है ? हमारा समाज भी एक बड़ा परिवार है। जब इस परिवार के एक हिस्से ट्रान्सजेंडर नागरिको को लगातार मजाक उपेक्षा घृणा और हिंसा का शिकार बनाया जाता रहेगा तो समाज खुशहाल और संपन्न कैसे होगा ? ट्रान्सजेंडर नागरिक स्कूल, कॉलेज, अस्पताल, बैंक, पोस्टऑफिस, रेलवे, बस, हवाई जहाज आदि में क्या आपको नौकरी करते हुए दिखते हैं ? ठेले – खोमचे, दुकान से लेकर बड़ी कंपनी और व्यापारिक प्रतिष्ठानों में क्या आपने किसी ट्रान्सजेंडर को काम करते हुए देखा है ? सोचने की बात है कि समाज का एक हिस्सा समाज मे दिखता ही नही है । ट्रान्सजेंडर नागरिकों का क्या अपराध है जो उन्हें समाज के मुख्यधारा से वंचित रखा गया है ?
संवैधानिक पक्ष की बात रखते हुए नीति ने कहा कि संविधान कहता है कि सभी नागरिक समान हैं। लिंग, जाति, धर्म, नस्ल, रंग रूप के आधार पर किसी से कोई भेदभाव नही किया जा सकता है। ट्रांसजेंडर ऐक्ट 2020 कहता है सरकारी और प्राइवेट सभी तरह के जगहों पर ट्रान्सजेंडर नागरिकों को भी समान अवसर उपलब्ध होंगे। किसी भी तरह का भेदभाव नही होगा | सबके पहचान पत्र बनेंगे और साथ ही नौकरी रोजगार शिक्षा स्वास्थ आदि तक पंहुच सुनिश्चित होगी | सरकारी तो सरकारी प्राइवेट संस्थानों में भी ट्रांसजेंडर नागरिको को अवसर की समानता रहेगी | किसी तरह के उत्पीडन की स्थिति में जिला मजिस्ट्रेट और पुलिस महानिदेशक के प्रभार में ट्रांसजेंडर सुरक्षा सेल काम कर रही होगी जो प्रभावित की सुरक्षा चिकित्सा और अन्य विधिक न्यायिक उपचार मिले ये सुनिश्चित कर रही होगी |
एना ने प्रिज्मैटिक इण्डिया के विषय में बतलाते हुए कहा कि इन सब कोशिशो को और बेहतर तरीके से जमीन पर उतारा जाए और ट्रांसजेंडर नागरिको को संविधान प्रदत्त अधिकार मिल सके इस लिए हम सबको मिलकर काम करने की जरूरत है | ट्रांसजेंडर नागरिक जागरूक हों और सशक्त हों , इस उद्देश्य से बनारस में प्रिज्मैटिक इण्डिया की स्थापना की गयी है | वार्ता में प्रिज्मैटिक इण्डिया की ओर से प्रतिभा, सुषमा, राहुल, विक्की और अल्का सक्रीय रूप से शामिल रहे |