बाराबंकी। आधुनिक अवधी के तीन महाकवियों का संगम है डाॅ0 रामबहादुर मिश्र की कृति तिरबेनी। यह पुस्तक वंशीधर शुक्ल, पढ़ीस व रमई काका के व्यक्तित्व व कृतित्व में एक साथ अवगाहन का अवसर प्रदान करती है।
यह बात आशीर्वाद सदन दशहराबाग में साहित्यकार समिति द्वारा आयोजित डाॅ0 रामबहादुर मिश्र की पुस्तक तिरबेनी की समीक्षात्मक परिचर्चा में मुख्य अतिथि साहित्यभूषण डाॅ0 उमाशंकर शुक्ल ‘शितिकंठ’ ने कही। उन्होंने यह भी कहा कि हिन्दी के समानान्तर अवधी को स्थापित करने में वंशीधर शुक्ल, पढ़ीस व रमई काका का महत्वपूर्ण योगदान है।
परिचर्चा की अध्यक्षता करते हुए रामनगर डिग्री काॅलेज के पूर्व प्राचार्य डाॅ0 नरेश चन्द्र त्रिपाठी ने कहा कि वर्तमान परिप्रेक्ष्य में अवधी को नया आयाम देने व अवधी के साथ अन्य क्षेत्रीय भाषाओं के परस्पर समन्वय स्थापित करने में डाॅ0 राम बहादुर मिश्र ने सराहनीय कार्य किया है। उन्होंने यह भी कहा कि डाॅ0 मिश्र द्वारा सम्पादित अवध ज्योति पत्रिका तथा अवध भारती संस्थान द्वारा विभिन्न लेखकों की डेढ़ सौ से अधिक पुस्तकों का प्रकाशन अवधी के प्रचार-प्रसार में मील का पत्थर साबित होंगी। इस दौरान डॉ0 रामबहादुर मिश्र ने अपनी पुस्तक तिरबेनी के लेखन की प्रेरणा को रेखांकित करते हुए इन तीनो कवियो के अनछुए जीवन प्रसंगो को सुनाया।
विषय प्रवर्तन करते हुए साहित्यकार समिति के अध्यक्ष डाॅ0 विनय दास ने कहा कि तिरबेनी के तीनों महाकवियों ने अपने समय व समाज की धारा के विपरीत जोखिम उठाकर अपनी बोली-बानी अवधी को स्थापित करने का कार्य किया है तथा आम जनमानस की रोजमर्रा की समस्याओं को विषय बनाकर रंजनात्मक एवं व्यंग्यात्मक शैली में किया गया काव्य सृजन अवधी को बोली से साहित्य की भाषा में बनाने में किया गया योगदान सदैव स्मरणीय है।
वीणा सुधाकर ओझा महाविद्यालय के प्राचार्य डाॅ0 बलराम वर्मा ने कहा कि तिरबेनी पुस्तक अवधी के प्रति लोगों को जागरूक करने का कार्य करेगी। परिचर्चा के दौरान साहित्यकार डाॅ0 सत्या सिंह, ए0 राही, नीम मैन राम अवतार सिंह खंगार ने भी सम्बोधित किया। कार्यक्रम का संचालन साहित्यकार प्रदीप सारंग ने किया। इस दौरान कवि ओपी वर्मा ओम, साहब नरायन शर्मा, प्रदीप महाजन, अजय प्रधान, योगेंद्र मधुप ने काव्यपाठ किया। इस मौके पर अनिल श्रीवास्तव लल्लूजी, पंकज कँवल, अनुपम वर्मा, सदानंद वर्मा, रजत वर्मा, रजनी श्रीवास्तव निशा, गुलजार बानो, सीताकांत मिश्र स्वयम्भू आदि मौजूद थे।