परिश्रम का कोई दूसरा विकल्प नहीं, जीवन में शाॅर्टकट रास्ता कभी नहीं अपनाना चाहिए – मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ

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मुख्यमंत्री तथा नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी जनपद गोरखपुर में महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के ‘संस्थापक सप्ताह समारोह-2024’ के मुख्य महोत्सव एवं पुरस्कार वितरण कार्यक्रम में सम्मिलित हुए

मुख्यमंत्री ने मुख्य अतिथि नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी के साथ विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेता विद्यार्थियों को सम्मानित किया

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि परिश्रम का कोई दूसरा विकल्प नहीं हो सकता है। जीवन में शाॅर्टकट रास्ता कभी नहीं अपनाना चाहिए। हमें अपनी मेहनत पर विश्वास करते हुए, ईमानदारी से प्रयास करना होगा। यह कार्य आपको जीवन की प्रत्येक प्रतिस्पर्धा में सम्मानजनक स्थान प्रदान करने में सहायक होगा। वर्तमान समय में युवाओं को स्वयं को समय की धारा के अनुरूप तैयार करना होगा। स्वयं में समय के अनुरूप सोचने की शक्ति विकसित करनी पड़ेगी। लक्ष्य को ध्यान में रखकर समाज के प्रत्येक वर्ग को स्वयं के साथ जोड़कर, टीम भावना के साथ कार्य करना पड़ेगा।

मुख्यमंत्री आज जनपद गोरखपुर में महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के ‘संस्थापक सप्ताह समारोह-2024’ के मुख्य महोत्सव एवं पुरस्कार वितरण कार्यक्रम में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने मुख्य अतिथि नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी के साथ विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेता विद्यार्थियों को सम्मानित किया। इस अवसर पर महाराणा प्रताप पी0जी0 काॅलेज, जंगल धूसर की प्राध्यापिका श्रीमती शिप्रा सिंह की पुस्तक ‘शिक्षा की भारतीय अवधारणा’ का विमोचन भी सम्पन्न हुआ।

मुख्यमंत्री ने कहा कि कालचक्र किसी की प्रतीक्षा नहीं करता। उसका प्रवाह निरन्तर चलता है। यदि इस प्रवाह के साथ आगे नहीं बढ़ेंगे, तो हम पीछे छूट जाएंगे। जब टीम वर्क के साथ संगठित प्रयास किए जाएंगे, तो उसके अच्छे परिणाम उसी प्रकार आते हुए दिखाई देंगे, जैसे खेलकूद से जुड़ी हुई विभिन्न प्रतियोगिताओं में देखने को मिलते हैं। यह बात केवल खेल प्रतियोगिताओं पर ही नहीं बल्कि हमारे दैनिक जीवन के क्रिया कलापों पर भी लागू होती है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज हम सभी को प्रसिद्ध समाज सुधारक एवं नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित श्री कैलाश सत्यार्थी का अमूल्य मार्गदर्शन प्राप्त हुआ। यह अवसर इसलिए और भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि आज ही के दिन 10 वर्ष पूर्व उन्हें उनकी सेवाओं के लिए दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
जिन युवाओं के मन में किसी प्रकार का संदेह है, उनके लिए यह बात अत्यन्त महत्वपूर्ण है कि जीवन का उद्देश्य केवल डिग्री व नौकरी प्राप्त करना नहीं होना चाहिए। जीवन वृहद संकल्पनाओं तथा अवधारणाओं पर आधारित है। जब पूरी ईमानदारी तथा निष्ठा के साथ प्रयास किया जाता है, तो सफलता अवश्य प्राप्त होती है।

समारोह के मुख्य अतिथि नोबेल शांति पुरस्कार विजेता श्री कैलाश सत्यार्थी ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि ‘अयं निजः परो वेति गणना लघुचेतसाम्, उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम्’ अर्थात् ‘यह मेरा है, वह पराया है, यह सोच संकीर्ण विचार वाले व्यक्तियों की होती है। उच्च चरित्र वाले लोग समस्त संसार को ही परिवार मानते हैं। चरित्र की उदारता बहुत जरूरी है। चरित्र की उदारता का सम्बन्ध शिक्षा से है।

श्री सत्यार्थी ने कहा कि उन्होंने मुख्यमंत्री जी के उदात्त चरित्र को देखा है। जब आप किसी ईमानदार राजनेता के पास बैठते हैं, तो उसका असर आप पर पड़ता है। यह बात मुख्यमंत्री जी के सान्निध्य में महसूस की जा सकती है। यह ईमानदारी हमारे सामाजिक, सार्वजनिक तथा राजनैतिक जीवन में अत्यन्त आवश्यक है। वह मानवता के उद्धार, समाज के कल्याण तथा गांवों में शिक्षा की अलख जगाने के लिए अटल आवासीय विद्यालय खोलने जैसे अनेक कार्य उत्साह के साथ करते हैं। यह उत्साह केवल मुख्यमंत्री जी तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि यह प्रदेश के प्रत्येक नागरिक का उत्साह तथा सपना बनना चाहिए। खास तौर से युवाओं और बच्चों को इस ओर ध्यान देना चाहिए। महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के अध्यक्ष प्रो0 उदय प्रताप सिंह ने भी कार्यक्रम को सम्बोधित किया।
इस अवसर पर कैलाश सत्यार्थी की पत्नी श्रीमती सुमेधा, सांसद रवि किशन शुक्ल, गोरखपुर के महापौर डाॅ0 मंगलेश श्रीवास्तव, विधायक विपिन सिंह, फतेह बहादुर सिंह, महेन्द्र पाल सिंह, कालीबाड़ी के महन्त रविन्द्र दास, दीनदयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय, गोरखपुर की कुलपति डाॅ0 पूनम टण्डन, महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय, गोरखपुर के कुलपति प्रो0 ए0के0 सिंह, महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय, गोरखपुर के कुलपति डाॅ0 सुरिंदर सिंह, माँ पाटेश्वरी राज्य विश्वविद्यालय, देवीपाटन के कुलपति डाॅ0 रवि शंकर तथा अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

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