Supreme Court ने कर्नाटक में 8,000 करोड़ रुपये की शरावती बिजली परियोजना के लिए जारी अल्पकालिक निविदा को चुनौती देने वाली लार्सन एंड टुब्रो लिमिटेड (एलएंडटी) की याचिका खारिज कर दी है।
मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला एवं न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने कर्नाटक उच्च न्यायालय के 25 अप्रैल के आदेश को बरकरार रखा, जिसने कर्नाटक पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (केपीसीएल) की तरफ से जारी निविदा के खिलाफ इंजीनियरिंग एवं निर्माण कंपनी एलएंडटी की याचिका को मना कर दिया था।
उच्चतम न्यायालय (supreme Court) की पीठ ने कहा, हम संविधान के अनुच्छेद 136 के तहत विशेष अनुमति याचिका पर विचार करने के लिए इच्छुक नहीं हैं। इस आधार पर विशेष अनुमति याचिका खारिज कर दी जाती है। एलएंडटी ने अपनी अपील में कहा था कि बिजली परियोजना के लिए निविदा प्रक्रिया मनमाने ढंग से, विकृत और अनुचित तरीके से चलाई गई।
कर्नाटक उच्च न्यायालय ने उसकी अपील ठुकराते हुए कहा था, विद्युत-यांत्रिकी और जल-यांत्रिकी कार्य इस परियोजना का एक अभिन्न अंग हैं लेकिन याची सिर्फ एक सिविल ठेकेदार होने से एक विशेष एजेंसी न मिलने तक यह काम करने के योग्य नहीं थी। वह किसी विशेषज्ञ एजेंसी को अपने साझेदार के रूप में नहीं दिखा पाई।
यह परियोजना ढांचागत कंपनी मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर (MEIL) को मिली है। कंपनी ने सोमवार को कहा कि उसे 2,000 मेगावाट क्षमता की यह परियोजना मिली है।
शरावती नदी कर्नाटक में पनबिजली का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। कुल 2,000 मेगावाट की बिजली उत्पादन क्षमता के साथ यह देश की सबसे बड़ी पंप भंडारण बिजली उत्पादन इकाई होगी।