मनोज पांडेय
प्रयागराज। दुनिया के सबसे बड़े आध्यात्मिक और सांस्कृतिक मेले के दौरान गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के त्रिवेणी तट पर संयम, श्रद्धा एवं कायाशोधन का कल्पवास करने वाले कल्पवासियों का स्वागत करने के लिए संगम में साइबेरियन पक्षियों का जमावड़ा शुरू हो गया है।
माघ मेला क्षेत्र में कल्पवासियों के हवन, पूजन, साधु-संतों के प्रवचन से जिस प्रकार पूरे मेला क्षेत्र में आध्यात्मिकता का वातावरण बना रहता है उसी प्रकार दूर देश से प्रयागराज पहुंचे साइबेरियन पक्षियों के संगम के जल में कलरव और अठखेलियों से तट गुलजार हो गया है। ऐसा लगता है कल्पवासियों की तरह साइबेरियन पक्षियों का भी एक मास का कल्पवास शुरू होगा।
देश के कोने-कोने से संगम पहुंचने वाले श्रद्धालुओं के साथ ही ये साइबेरियन पर्यटक भी हजारों मील से उड़कर यहां पहुंचे हैं। संगम के जल पर विदेशी मेहमानों के कलरव और अठखेलियों को देखकर पर्यटक एवं श्रद्धालु आनन्द की अनुभूति महसूस करते हैं। इनके पहुंचने से संगम तट के सौंदर्य में और भी निखार आया है। तट पर सुबह से लेकर शाम तक श्रद्धालुओं और पर्यटकों की भीड़ लगी रहती है। शाम ढ़लते यहां का नजारा और भी रमणीय हो जाता है। सात समंदर पार से आने वाले साइबेरियन पक्षियों को घाटों पर देखकर सैलानियों को सुकून मिलता है।