राउरकेला। सेल, राउरकेला इस्पात संयंत्र के सिंटरिंग प्लांट-1 की क्वालिटी सर्किल टीम ‘विजेता’ ने ‘स्ट्रैंड-1 और स्ट्रैंड-2 के बीच फ्लू गैस प्रबंधन और चिमनी संचालन में जबरदस्त घूरने के प्रभाव को कम करना’ नामक क्वालिटी सर्किल परियोजना को लागू करके फ्लू गैस प्रबंधन में एक बड़ी सफलता हासिल की है। इस परियोजना के सफल कार्यान्वयन ने न केवल महत्वपूर्ण परिचालन मुद्दों को हल किया है, बल्कि संयंत्र की सुरक्षा और दक्षता में भी उल्लेखनीय वृद्धि की है। क्यूसी टीम ने इस परियोजना के लिए संयंत्र स्तरीय क्यू.सी. प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीता है।
महा प्रबंधक (आर.सी.एल.), संचालक, सी.के.सामल, सहायक महा प्रबंधक (ऑपरेशन), एस.पी.-1, फैसिलिटेटॉर, एम.एस.राव, ग्रुप लिडर, मानसिंग हेम्ब्रम, डेपुटी लिडर, बिनोद कुमार टेटे, सदस्य, दिलीप कुमार बारिक, सदस्य, रंजीत सेठी और सदस्य, सौम्य रंजन जेना ने सिंटर मशीनों के संचालन में महत्वपूर्ण मुद्दों की पहचान की जो उत्पादन और सुरक्षा को प्रभावित कर रहे थे।
इससे पहले, एक बड़ी समस्या यह थी कि जब सिंटर मशीनों में से एक को बंद कर दिया जाता था, तो फ़्लू गैस स्ट्रैंड-1 से स्ट्रैंड-2 में और फिर उलटे क्रम में प्रवेश करती थी। इसका इधर से उधर पर होना अक्षमताओं का कारण बन रहा था। इसके अतिरिक्त, जब दोनों सिंटर मशीनें चल रही होती थीं तो टीम ने चिमनी के अंदर एक महत्वपूर्ण हलचल देखी। तीव्र गति के हलचल के कारण मुख्य ब्लोअर में कंपन होता था, जिससे बार-बार मोटर ट्रिप हो जाती थी और संचालन स्थिरता पूरी तरह से प्रभावित होती थी। सक्शन ट्रैक लाइन में इसके बैक प्रेशर ने सक्शन दक्षता को कम कर दिया और परिणामस्वरूप उत्पादन दर कम हो गई।
इन समस्याओं को हल करने के लिए, टीम ने चिमनी के अंदर डायवर्सन प्लेट्स लगाईं, खास तौर पर चिमनी में प्रवेश करने वाले प्रोसेस ई.एस.पी. के इनलेट डक्ट्स पर। इस रणनीतिक स्थापना ने हलचल को काफी हद तक कम कर दिया, जिससे मोटरों का सुरक्षित, अधिक स्थिर और विश्वसनीय संचालन सुनिश्चित हुआ I फलस्वरूप बार-बार ट्रिपिंग और परिचालन संबंधी व्यवधान रोके जा सके । इस अभिनव दृष्टिकोण ने न केवल समग्र उत्पादन और प्रदर्शन में सुधार किया है, बल्कि कंपनी के लिए पर्याप्त बचत भी हासिल की है।