पूर्व एम. एल. सी. राजेशपति त्रिपाठी ने अपने पैतृक आवास पर की प्रेसवार्ता, कहा नीजी कारणों से छोड़ा कांग्रेस का साथ पर विचारधारा से नहीं किया समझौता
वाराणसी/ हम पं.कमलापति त्रिपाठी वंश के वारिस हैं, पर उस नाते हम उनकी राजनीतिक विचारधारा के विरुद्ध राजनीति नहीं कर सकते। उनका लोकतंत्र में विश्वास था, जो सभी को वैचारिक आजादी देता है। फिर भी वह तो राष्ट्रनिर्माण की गांधी-नेहरू विचार परंपरा को अटूट जीवन संस्कार मानते थे, जिसका संघ एवं भाजपा के विचारों से उत्तरी एवं दक्षिणी ध्रुव जैसा रिश्ता है, जिसमें मेल संभव नहीं। अतः उनके वंश का नाम लेकर हम भाजपा की राजनीति करें, तो वह उनकी वैचारिक विरासत के विरुद्ध होगा।
उक्त विश्वासों के नाते हम शेष जीवन खेती करके बिता सकते हैं, पर पितामह पं.कमलापति जी की वैचारिक विरासत के विरुद्ध राजनीति की नहीं सोच सकते। निजी वजहों से मैं और विधायक रहे मेरे पुत्र ललितेशपति तीन वर्ष पूर्व कांग्रेस से अलग हुये थे, पर हम दादा एवं पिता की वैचारिक विरासत से दूर नहीं हो सकते थे। हमको बड़े प्रलोभन एवं दबाव भाजपा में शामिल होने के आये, पर हम पूर्वजों के संस्कार से धोखा तो नहीं कर सकते थे। अतः 1980 से पं.कमलापति त्रिपाठी से अनन्य भाव से जुड़ी रही ममता बनर्जी के आग्रह पर हम उनसे जुड़े, पर शांत घर बैठे रहे। विगत विधानसभा चुनाव में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव जी ने मड़िहान सीट ललितेशपति के पक्ष में तृणमूल कांग्रेस को छोड़ी, पर हम चुनाव से भी पृथक रहे। पं.कमलापति त्रिपाठी के विचारों की विरासत के तकाजों पर जब ‘इंडिया’ गठबंधन बना, ममता जी एवं अखिलेश जी ने ललितेशपति को भदोही से चुनाव लड़ने को कहा और उसके साथ सोनिया गांधी जी एवं राहुल गांधी जी का आशीर्वाद भी जुड़ा, तब चुनाव में ललितेशपति भदोही से उतरे हैं।
पं.कमलापति त्रिपाठी धर्मनिष्ठ थे, पर धर्म की राजनीति को पाप मानते थे। देश की राजनीति में आज जो खतरे महसूस किये जा रहे, उसे दक्षिणपंथी फासिस्ट एवं सांप्रदायिक राजनीति का उभरता गंभीर खतरा बता कर कमलापति त्रिपाठी ने 1988 में ही आगाह किया था। उन्होंने 22 सितंबर, 1988 को उस उभरते खतरे के खिलाफ पत्र एवं बयान द्वारा लोकतंत्र एवं समाजवादी विचारों में विश्वास वाली लोकतांत्रिक एवं वामपंथी ताकतों का एकजुट होने के लिये आह्वान किया था। उनकी उस दूरदृष्टि की अनदेखी हुई, पर आज उसी खतरे का सामना करने के लिये समान विचारों के सभी घटकों ने ‘इंडिया’ गठबंधन बनाया है, जैसा वह उस वक्त चाहते थे। अतः ‘इंडिया’ गठबंधन की 2024 के चुनाव में सफलता कमलापति त्रिपाठी की वैचारिक विरासत से जुड़ा हमारा युगधर्म है। संस्कारों के नाते हम उस धर्म के साथ हैं और लोगों से देश एवं लोकतंत्र के हित में भाजपा सरकार को हटाने के लिये ‘इंडिया’ गठबंधन दलों को सफल बनाने की अपील करते हैं।