“सोशल मीडिया एंड एंटरटेनमेंट: हूज़ आई पी इज़ इट एनीवे?” पर एक दिवसीय संगोष्ठी आयोजित

डीपीआईआईटी -आई पी आर चेयर, एचएनएलयू के सहयोग से किया गया संगोष्ठी का आयोजन
रायपुर/ हिदायतुल्लाह नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी (एचएनएलयू ), रायपुर में डीपीआईआईटी -आई पी आर चेयर ने सेंटर फॉर इनोवेशन एंड आई पी लॉज़ (स्कूल ऑफ लॉ एंड टेक्नोलॉजी) के सहयोग से “सोशल मीडिया एंड एंटरटेनमेंट: हूज़ आई पी इज़ इट एनीवे?” विषय पर एक दिवसीय संगोष्ठी का सफल आयोजन किया। यह कार्यक्रम सोशल मीडिया, डिजिटल एंटरटेनमेंट और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई ) के क्षेत्र में बौद्धिक संपदा (आई पी) स्वामित्व, प्रवर्तन, अधिकारों और उत्तरदायित्वों की जटिलताओं पर केंद्रित था।

संगोष्ठी की शुरुआत एचएनएलयू के कुलपति प्रो. वी.सी. विवेकानंदन के उद्घाटन भाषण से हुई, जिसमें उन्होंने पिछली शताब्दी में तकनीकी विकास द्वारा संगीत और सिनेमा के परिदृश्य को बदलने की चर्चा की। उन्होंने बताया कि कैसे सोशल मीडिया ने इस परंपरागत व्यवस्था को बदलकर व्यक्तियों को रचनात्मकता का अवसर प्रदान किया है, जिससे आई पी कानून की पारंपरिक व्याख्या को नए दृष्टिकोण की आवश्यकता हो गई है।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जी.आर. रघवेन्दर ने सोशल मीडिया पर रचनात्मकता और उसके त्वरित प्रसार की चर्चा करते हुए आई पी कानूनों की जटिल चुनौतियों पर प्रकाश डाला। सुश्री अर्पिता भट्ट, लीगल काउंसल, ने डिजिटल प्लेटफॉर्म पर डेटा साझा करने और गोपनीयता से जुड़े मुद्दों को विस्तार से समझाया।

डॉ. दीपक श्रीवास्तव, रजिस्ट्रार (प्र.) द्वारा स्वागत भाषण दिया गया, और डॉ. देबमिता मोंडल ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया।
उद्घाटन सत्र के बाद “डेटरमिनिंग आई पी ओनरशिप ऑफ सोशल मीडिया क्रिएटिव कंटेंट एंड एआई-जनरेटेड कंटेंट: लीगल, एथिकल, एंड पॉलिसी डिसीज़न्स” विषय पर पैनल चर्चा आयोजित की गई। इस चर्चा में यूजर-जनरेटेड कंटेंट (यू जी सी ) और एआई द्वारा निर्मित रचनाओं से जुड़े विधिक ढांचे पर चर्चा की गई।

जी.आर. रघवेन्दर, वरिष्ठ सलाहकार, भारत सरकारडॉ. एम. शक्तिवेल, विधि प्रोफेसर, टीएनएलयू डॉ. निधि हृदय बुच, एसोसिएट प्रोफेसर, जी एनएलयू सुश्री स्वप्ना सुंदर, एडवोकेट एवं वरिष्ठ भागीदार, पी वी एस गिरिधर एसोसिएट्स डॉ. दयानंद मूर्ति सी.पी., डीपीआईआईटी -आई पी आर चेयर, प्रोफेसर, डी एस एनएलयू पैनल में शामिल थे।

इस सत्र का संचालन सुश्री उर्वी श्रीवास्तव और अपूर्व शर्मा द्वारा किया गया, जिन्होंने डिजिटल युग में आई पी प्रबंधन के कानूनी, नैतिक और नीतिगत प्रभावों पर गहन चर्चा को प्रोत्साहित किया।
दोपहर के बाद के सत्र में फैकल्टी सदस्यों और शोधार्थियों ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए, जिसमें बौद्धिक संपदा और डिजिटल सामग्री निर्माण के समकालीन मुद्दों पर महत्वपूर्ण दृष्टिकोण साझा किए गए। सर्वश्रेष्ठ शोध पत्र प्रस्तुति पुरस्कार सार्थक खंडेलवाल और सुश्री अर्शिया चौहान, एनएलयू, दिल्ली के एलएल.एम. शोधार्थियों को प्रदान किया गया।
इस पूरे कार्यक्रम का संचालन डॉ. अंकित सिंह, आई पी चेयर इंचार्ज द्वारा किया गया।
यह संगोष्ठी बौद्धिक संपदा, डिजिटल कंटेंट क्रिएशन और नई तकनीकों के अंतःसंबंध पर महत्वपूर्ण चर्चा को प्रोत्साहित करने में सफल रही। इसने डिजिटल युग में उत्पन्न चुनौतियों से निपटने के लिए आधुनिक कानूनी ढांचे की आवश्यकता को उजागर किया।

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