मुख्तार की मौत: 46 साल पहले मुख्तार अंसारी पर पहला मुकदमा दर्ज हुआ था, और अब तक कुल 65 मुकदमे दर्ज हो चुके

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मुख्तार अंसारी पर सबसे पहला आपराधिक केस 46 साल पहले, वर्ष 1978 में गाजीपुर के सैदपुर थाने में दर्ज किया गया था। धमकाने से संबंधित इस एनसीआर के बाद अगले 8 वर्षों तक मुख्तार का नाम किसी आपराधिक घटना में सामने नहीं आया। साल 1986 में मुख्तार के खिलाफ गाजीपुर के मुहम्मदाबाद थाने में हत्या के आरोप में मुकदमा दर्ज किया गया था। इसके बाद जरायम जगत में उसकी पैठ इतनी गहरी हुई कि वह अंतरराज्यीय गिरोह का सरगना बन गया था। मुख्तार के खिलाफ आखिरी 65वां मुकदमा साल 2023 में गाजीपुर के मरदह थाने में धमकाने और आपराधिक षड्यंत्र सहित अन्य आरोपों में दर्ज किया गया था।

एक ही जज ने दूसरी बार मुख्तार को उम्रकैद की सजा सुनाई थी

MP/MLA कोर्ट वाराणसी के विशेष न्यायाधीश अवनीश गौतम की अदालत ने 9 महीने में दूसरी बार अंतरराज्यीय गिरोह (IS- 191) के सरगना मुख्तार अंसारी को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। 5 जून 2023 को अवधेश राय हत्याकांड में मुख्तार को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। उसके बाद 13 मार्च 2024 को गाजीपुर के फर्जी शस्त्र लाइसेंस मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई गई।

चंदौली निवासी डिप्टी एसपी को देना पड़ा था इस्तीफा

शैलेंद्र सिंह ने 2004 में चंदौली जिले के फेसुड़ा गांव के मूल निवासी के रूप में एसटीएफ में डिप्टी एसपी के पद पर काम किया था। कृष्णानंद राय हत्याकांड से पहले, उन्होंने मुख्तार अंसारी के एलएमजी खरीदने की साजिश का पर्दाफाश किया था। उन्होंने एलएमजी बरामद करके मुख्तार अंसारी के खिलाफ कदम उठाया था। इस पर, प्रदेश सरकार नाराज हुई और शैलेंद्र सिंह के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने के लिए दबाव बनाया गया था।

इस घटना से आहत होकर, शैलेंद्र सिंह ने पुलिस की नौकरी से इस्तीफा दे दिया था। कुछ महीने बाद, कैंट थाने में डीएम कार्यालय के चतुर्थ श्रेणी कर्मी ने उनके खिलाफ मारपीट, तोड़फोड़ और अन्य आरोपों में मुकदमा दर्ज किया था। 2021 में, योगी सरकार ने शैलेंद्र पर दर्ज केस को वापस ले लिया। वर्तमान में, वह लखनऊ में रहकर आर्गेनिक खेती और गोसेवा के काम से जुड़े हुए हैं।

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