प्रयागराज।[ मनोज पांडेय ] भारत की स्वर्णिम विजय की 50वीं वर्षगांठ को यादगार बनाने के लिए निकली स्वर्णिम विजय मशाल रविवार की शाम प्रयागराज पहुंची। यहां सेना के अफसरों, जवानों के साथ आम लोगों ने स्वर्णिम विजय मशाल का स्वागत किया। दरअसल 16 दिसंबर 1971 को ही भारत ने पाकिस्तान पर ऐतिहासिक विजय हासिल की थी। इस युद्ध में पाकिस्तानी सेना ने आत्मसमर्पण किया था। जो द्वितीय विश्व युद्ध के बाद किसी भी सेना द्वारा किया गया था सबसे बड़ा आत्मसमर्पण था। इस जीत की याद में स्वर्णिम विजय वर्ष मनाया जा रहा है। पिछले वर्ष ही पीएम मोदी ने भारतीय सेना को दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम विजय मशाल सौंपी थी। यह मशाल देश के तमाम शहरों से होते हुए रविवार की शाम गोरखपुर से प्रयागराज पहुंची।
शहर के तमाम इलाकों से होते हुए विजय मशाल खुली जीप में न्यू कैंट पहुंची। यहां वॉर मेमोरियल में कतार में खड़े जवानों मशाल का स्वागत किया। विक्ट्री फ्लेम को ले जा रहे वाहन के आगे पाइप बैंड ने युद्ध स्मारक तक मार्च किया। इस दौरान जय हिंद के उद्घोष के साथ भारत माता की जय के जयकारे भी लगे। यहां वर्ष 1971 के युद्ध में शामिल सेवानिवृत्त कर्नल के कुमार, कर्नल नरेंद्र परिहार, बिग्रेडियर अजय पासबोला के साथ जीओसी मेजर जनरल जेएस बैंसला ने भी मशाल का स्वागत किया।
इस दौरान पूर्व सैनिकों का माल्यार्पण किया गया। सेना के अफसरों ने बताया कि स्वर्णिम मशाल 29 नवंबर को प्रयागराज से अपने अगले पड़ाव पर निकलेगी। इस अवधि में मशाल इलाहाबाद हाईकोर्ट, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, उत्तर मध्य रेलवे मुख्यालय, सीओडी छिवकी, ओडी फोर्ट आदि स्थानों पर जाएगी।
स्वर्णिम विजय की 50 वीं वर्षगांठ के अवसर पर चंद्रशेखर आजाद पार्क (कंपनी बाग) में रविवार को सेना की ओर से प्रदर्शनी लगाई गई। इस दौरान सेना द्वारा प्रयोग किए जाने वाले हथियार एवं अन्य उपकरणों का यहां प्रदर्शन किया गया। इस दौरान आकर्षण का केंद्र कारगिल युद्ध के दौरान प्रयोग की गई बोफोर्स तोप रही।