चिराग तले अंधेरा: वाह रे पंचायती राज विभाग, साहब को नहीं दिख रही है गंदगी
नौगढ़ । विकास खंड नौगढ़ में पंचायती राज विभाग के सफाई अभियान का कड़वा सच सामने आ रहा है। ब्लॉक परिसर में स्थित सामुदायिक शौचालय, जो कभी स्वच्छ भारत अभियान की सफलता का प्रतीक था, अब गंदगी और बदबू का अड्डा बन चुका है। यहां खंड विकास अधिकारी और पंचायत अधिकारी की मौजूदगी के बावजूद शौचालय की दुर्दशा पंचायतों में चल रहे सरकार के स्वच्छ भारत मिशन की योजनाओं पर सवाल खड़े करती है।
*सफाई कर्मियों की फौज, फिर भी गंदगी का राज*
नौगढ़ ब्लॉक में सफाई कर्मियों की लंबी चौड़ी फौज तैनात है, लेकिन सामुदायिक शौचालय में फैली गंदगी साफ दिखाती है कि उनका काम कितना प्रभावी है। अधिकांश पंचायतों में सामुदायिक शौचालय में ताले लगे हुए हैं। सवाल उठता है कि इन सफाई कर्मियों की निगरानी कौन कर रहा है और पंचायती राज विभाग इस स्थिति पर चुप क्यों है?
*महिलाओं और बुजुर्गों को होती है परेशानी*
सामुदायिक शौचालय के पास बदबू और गंदगी के कारण यहां से गुजरना भी मुश्किल हो गया है। महिलाओं के लिए इस दुर्दशा के चलते गरिमा और स्वास्थ्य दोनों खतरे में हैं। लंबी दूरी तय करके फरियाद करने आए बुजुर्ग, महिलाओं और आम जनता के पास कोई अन्य विकल्प नहीं है,
लाखों रुपये की लागत से बने इस सामुदायिक शौचालय की देखभाल में लापरवाही से सरकारी धन के दुरुपयोग की पोल खुलती है। यह भ्रष्टाचार और प्रशासनिक उदासीनता की ओर स्पष्ट इशारा करता है।
सवाल उठता है कि क्या पंचायती राज विभाग के वरिष्ठ अधिकारी इस समस्या से अनजान हैं, या इसे जानबूझकर अनदेखा किया जा रहा है? क्या सफाई कर्मियों पर कोई कार्रवाई होगी? विभाग को तत्काल प्रभाव से जिम्मेदारी तय कर इस स्थिति को सुधारने के ठोस कदम उठाने चाहिए। नौगढ़ का सामुदायिक शौचालय एक उदाहरण है, जो बताता है कि स्वच्छ भारत अभियान जैसी योजनाएं जमीन पर कैसे विफल हो रही हैं। अब समय आ गया है कि इस समस्या का स्थायी समाधान निकाला जाए और जनता को उनका अधिकार दिया जाए। सरकारी योजनाएं कागजों से बाहर निकलकर आम जन तक कब पहुंचेंगी?