संजय ने बुनकर के काम से मजबूत की अपनी आर्थिक स्थिति
रायपुर, / छत्तीसगढ़ की ग्रामीण अर्थव्यवस्था में हाथकरघा उद्योग का रोजगार प्रदान करने की दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थान है। राज्य में यह उद्योग हाथकरघा बुनाई के परम्परागत धरोहर को अक्षुण्ण बनाये रखने के साथ ही बुनकर समुदाय के सामाजिक, सांस्कृतिक परंपराओं को प्रतिबिंबित करता है। हाथकरघा उद्योग एक मुख्य कुटीर उद्योग के रूप में स्थापित है। हाथकरघा उद्योग में रोजगार की विपुल संभावनाओं और हाथकरघा बुनाई की समृद्ध परम्परा, हाथकरघा बुनकरों और हाथकरघा उद्योग को और अधिक बढ़ावा देने के लिये शासन द्वारा विभिन्न योजनाएं एवं कार्यक्रम संचालित की जा रही है।
सार्वजनिक उपक्रमों में लगने वाले वस्त्र एवं रेडिमेड गारमेंट की पूर्ति छत्तीसगढ़ के बुनकरों के द्वारा उत्पादित हाथकरघा, खादी से वस्त्रों का क्रय करने का अनुरोध सभी विभागों से महाप्रबंधक छत्तीसगढ़ राज्य में हाथकरघा विकास एवं विपणन सहकारी संघ मर्यादित ने किया है। विभागों को वस्त्र प्रदाय के लिए छत्तीसगढ़ राज्य हाथकरघा विकास एवं विपणन सहकारी संघ मर्यादित को नोडल एजेंसी अधिकृत किया गया है। छत्तीसगढ़ राज्य हाथकरघा विकास एवं विपणन सहकारी संघ मर्यादित रायपुर से शासकीय वस्त्र क्रय के लिये भण्डार क्रय नियम में आवश्यक प्रावधान किये गये है।
पूरे छत्तीसगढ़ के साथ ही महासमुंद ज़िले में सैकड़ों परिवार बुनकर एवं महिलाओं को प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से बुनाई एवं सिलाई के माध्यम से रोजगार मिल रहा है। पड़ोसी राज्य ओड़िशा के अलावा महासमुंद जिले के कुछ हिस्सों में भी संबलपुरी साड़ी का उत्पादन किया जाता है। सरायपाली क्षेत्र के ग्राम अमरकोट, कसडोल सहित कई गांवों के बुनकर परिवार मिलकर हाथ से बुनाई कर संबलपुरी साड़ी बनाने का काम करते है।
हाथ से बनी संबलपुरी साडिय़ों हजारों रुपए में बाजार में बिकती है। आज पहले के मुक़ाबले साड़ी की क़ीमत अच्छी मिल रही है। आज 2500-3000 तक एक साड़ी पर आसानी से मिल जाते है। अब कही शहर,गांव में बिक्री के लिए नहीं घूमना पड़ता। आसानी से यही से बिक जाती है। अब यह कला न केवल सरायपाली के लोगों के जीविकोपार्जन का साधन है, बल्कि एक पूरे इलाके की अलग पहचान भी बन गया है।