काशी विश्वनाथ कारिडोर विदेशी कंपनी को सौपना सनातन संस्कृति पर चोट- आचार्य कमलाकांत त्रिपाठी

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वाराणसी, किसी विदेशी कंपनी को काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के संचालन की जिम्मेदारी सौंपना काशी की सनातनी परंपरा एवं संस्कृति पर सीधी चोट है ,ऐसा करना ना तो शास्त्र सम्मत है और ना ही धर्म के अनुकूल है इससे धर्म धर्म प्राण जनता की आस्था पर चोट पहुंचेगी यह कहना है डॉक्टर संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय मीमांसा शास्त्र के आचार्य पंडित कमलाकांत त्रिपाठी जी का आचार्य त्रिपाठी शुक्रवार को पंडित कमलापति त्रिपाठी फाउंडेशन के कार्यालय में *हिंदू आस्था के केंद्रों को विदेशी कंपनियों के हवाले करना सनातनी परंपरा पर चोट* विषयक संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे ,उन्होंने कहा कि काशी का महत्व अतुलनीय है यहां भगवान विश्वनाथ साक्षात निवास करते हैं उनकी पूजा आराधना की शास्त्रोक्त पद्धति से खिलवाड़ नहीं होना चाहिए,   विश्वनाथ मंदिर परिसर की व्यवस्था के निर्धारण के लिए शंकराचार्य धर्माचार्य काशी के विद्वानों की देखरेख में ही संपादित कराया जाना चाहिए आस्था के केंद्रों को व्यवसायिक दृष्टि से औद्योगिक घरानों के माध्यम से संचालित कराया जाना शास्त्री परंपराओं की अवमानना है ,आचार्य त्रिपाठी ने 119 वर्ष पूर्व मां अन्नपूर्णा की चुराई गई मूर्ति को कनाडा से लाकर मंदिर भी पुनः स्थापित करने के प्रयास पर अपना मत व्यक्त  करते हुए कहा कि विस्थापित विग्रह के पुनः स्थापना का विधान शास्त्र सम्मत नहीं है, संगोष्ठी में भाग लेते हुए वरिष्ठ सामाजिक और राजनीतिक कार्यकर्ता  विजय शंकर पांडे ने यह सवाल खड़ा किया कि काशी विश्वनाथ धाम को कारीडोर बनवा कर क्या आस्था पर व्यवसाय को लादा नहीं जा रहा है ?क्या आस्था के केंद्रों को पर्यटन स्थल के रूप में परिवर्तित नहीं किया जा रहा है ?उन्होंने इन सवालों का जवाब देते हुए कहा कि मंदिरों को कारपोरेट घरानों की तिजोरी का सामान नहीं बनने दिया जाएगा।  संगोष्ठी में भाग लेते हुए पुराने छात्र नेता और सामाजिक कार्यकर्ता  राधेश्याम सिंह ने कहा कि विश्वनाथ धाम को विश्वनाथ कॉरिडोर के रूप में परिवर्तित करने का काम ही व्यवसायिक आधार पर शुरू किया गया था और अब आस्था के इस केंद्र को चोर दरवाजे से औद्योगिक घराना के हवाले करने का कुचक्र रचा जा रहा है इस सामाजिक  साजिश के खिलाफ काशी की धर्म प्राण जनता, सामाजिक तथा राजनीतिक संगठनों को अपनी आवाज मजबूती के साथ उठानी चाहिए,  यदि ऐसा नहीं हुआ तो दुनिया में यह प्राचीनतम जीवन नगरी सभ्यता और सनातनी परंपरा का केंद्र काशी सनकी शासकों और मुनाफा को पूजी पतियों की चलते नष्ट हो जाएगा। संगोष्ठी  का कुशल संचालन  वरिष्ठ पत्रकार और काशी पत्रकार संघ के पूर्व अध्यक्ष  प्रदीप कुमार श्रीवास्तव ने किया । इसके  अलावा  संगोष्ठी मे बैजनाथ सिंह प्रेम शंकर पांडे प्रभु नाथ पांडे एडवोकेट भूपेंद्र प्रताप सिंह आनंद मिश्रा, मनोज चौबे, रवि कांत दुबे ने भी संबोधित किया ।

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