कानून का भय दिखाकर व्यापारियों का उत्पीड़न हो रहा,यह सब इंस्पेक्टर राज का प्रतीक – प्रदीप जायसवाल

समाजवादी पार्टी ने उत्तर प्रदेश में सरकारी विभागों द्वारा व्यापारियों के शोषण करने एवं फर्जी मुकदमें दर्ज करने के सन्दर्भ में व्यापारियों ने महामहिम को सम्बोधित जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा

वाराणसी। समाजवादी पार्टी के व्यापारियों की प्रकोष्ठ “समाजवादी व्यापार सभा, उ०प्र०” के महानगर संगठन द्वारा व्यापारियों पर सरकारी विभागों द्वारा लगातार हो रहे उत्पीड़न तथा समाजवादी व्यापार सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनीष जगन अग्रवाल पर विद्वेष की भावना से मुकदमा दर्ज कर जेल भेजने से नाराज़ वाराणसी के व्यापारियों ने निष्पक्ष जांच कर न्याय के लिए उत्तर प्रदेश की *महामहिम राज्यपाल को सम्बोधित ज्ञापन पत्र जिलाधिकारी को सौंपा।*

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की अनुमति से समाजवादी व्यापार सभा उ०प्र० द्वारा आयोजित समस्त जिलों में प्रदेशव्यापी कार्यक्रम के अंतर्गत आज उत्तर प्रदेश की राज्यपाल महोदया को सम्बोधित ज्ञापन पत्र वाराणसी कलेक्ट्रेट में समाजवादी व्यापार सभा के महानगर अध्यक्ष रवि जायसवाल के नेतृत्व में जिलाधिकारी के प्रतिनिधि के रूप में एसीएम तृतीय आनन्द मोहन उपाध्याय को सौंपा कर और व्यापार व्यापारी दिक्कतों का तत्काल निवारण करने की मांग किया।

ज्ञापन पत्र के माध्यम से बताया कि देश-प्रदेश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी कहे जाने वाले व्यापारियों का उत्पीड़न उत्तर प्रदेश में चरम पर है, व्यापारियों के साथ आए दिन लूट, हत्या, अपरहण जैसी घटनाएं हो रही हैं।

सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार चरम सीमा पर है। कानून का भय दिखाकर व्यापारियों का उत्पीड़न हो रहा है। यह सब इंस्पेक्टर राज का प्रतीक है l

उत्तर प्रदेश सरकार के सरकारी विभागों द्वारा व्यापारियों पर लगातार आर्थिक शोषण, दोहन, उत्पीड़न किया जा रहा है।

उत्तर प्रदेश के राज्य कर विभाग, बांट माप, श्रम विभाग, खाद्य सुरक्षा विभाग आदि के कुछ मन-बढ़ अधिकारियों एवं कर्मचारियों अभियान चलाकर ऑनलाइन मार्केटिंग से पहले से ही बर्बाद हमारे भोले-भाले सीधे-साधे फुटकर, रेहड़ी, पटरी, गुमटी,खुमचा एवं छोटे-मध्यम दुकानदारों एवं व्यापारियों के साथ-साथ उद्यमियों के प्रतिष्ठानों एवं गोदामों में जांच के नाम जाकर अपराधियों के जैसा व्यवहार करके उनका उत्पीड़न किया जा रहा है, सरकारी विभागों द्वारा हमारे निरीह व्यापारियों के दुकान, गोदाम, उद्यम (इकाई) के साथ-साथ दुकानदारों-व्यापारियों के व्यापारिक बैंक खाते तक सीज कर दिया जा रहा है।

सरकारी तंत्रों और उनके विभागों द्वारा किए जा रहे दमनकारी कार्यवाही से व्यापार चौपट हो गया है, जिसके फलस्वरूप व्यापारी दहशत के साए में जी रहे हैं।

कानून-व्यवस्था के सवाल पर तथा सरकारी तंत्रों के व्यापार-व्यापारी विरोधी नीतियों और जबरन कार्यवाही के खिलाफ़ जब कोई व्यापारी भारतीय संविधान द्वारा प्रदत्त प्रत्येक भारतीय को प्राप्त मौलिक अधिकार में से एक अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के तहत लोकतांत्रिक तरीके से जब कोई अपनी हक की बात सार्वजनिक रूप से तथा सोशल मीडिया के माध्यम से रखता है तो उत्तर प्रदेश सरकार व्यापारियों पर तत्काल अपराधिक धाराओं में मामला दर्ज कर तत्काल व्यापारियों को जेल भेजने का कार्य कर रही है जैसे हाल में ही समाजवादी व्यापार सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनीष जगन अग्रवाल के साथ घटना हुई है, इसप्रकार से लगातार सरकार विपक्ष की आवाज़ को दबाना चाहती है, जिसका समाजवादी पार्टी कड़े शब्दों में घोर निंदा करती है।

अतः समाजवादी व्यापार सभा उत्तर प्रदेश, उत्तर प्रदेश के करोड़ों व्यापारियों की तरफ से आपसे मांग करती है कि देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था के अन्तर्गत प्रत्येक भारतीय के लिए भारतीय संविधान द्वारा प्रदत्त मौलिक अधिकारों की रक्षा हर हालत में सुनिश्चित होनी चाहिए और जिन व्यापारियों पर विद्वेष की भावना से उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा फर्जी आपराधिक मुकदमें दर्ज हुए उनके तत्काल निष्पक्ष जांच करके यथाशीघ्र हटाई जाए।

अन्यथा व्यापार और व्यापारी हित में समाजवादी व्यापार सभा उत्तर प्रदेश, समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की अनुमति से पूरे प्रदेश में एक साथ लोकतान्त्रिक तरीके से आन्दोलन करेगी जिसकी सारी जिम्मेदारी उत्तर प्रदेश सरकार की होगी।

ज्ञापन पत्र कार्यक्रम में मुख्य रूप से समाजवादी व्यापार सभा उ०प्र० के प्रदेश अध्यक्ष व व्यापारी नेता प्रदीप जायसवाल, रमाकांत जायसवाल, सुमित जायसवाल, दिलशाद अहमद ढिल्लू, सुजीत गुप्ता, सोहन लाल चौरसिया, राजबहादुर पटेल, विजय जायसवाल, होरी लाल गुप्ता, भानु प्रताप सेठ, साजिद कमाल लारी, आशीष यादव, अभिषेक राय, वीरू जी, धर्मेंद्र यादव, मनीष सेठ, राहुल कुमार गुप्ता, काशी नाथ गुप्ता, प्रवीण कसेरा आदि उपस्थित थे।

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