सोनभद्र। सेवा केंद्र संचालिका बीके सुमन ने बताया कि जब मनुष्य के जीवन में बुराइयों के प्रतीक रावण का कद बड़ा होता जाता है तो राम अर्थात् सद्गुणों एवं मानवीय मूल्यों का कद छोटा होता जाता है। सद्गुणों से सम्पन्न सोलह श्रेष्ठ मानवीय कलाओं से अलंकृत जीवन ही सतयुग है और मानवीय मूल्यों के पतन की पराकाष्ठा ही कलयुग का प्रारम्भ है। जब मनुष्य ईश्वरीय ज्ञान और राजयोग से जीवन को नर्क बनाने वाले पांच महा विकार काम, क्रोध,लोभ, मोह, अहंकार और पांच महा शत्रु ईर्ष्या, घृणा, द्वेष, छल और कपट पर विजय प्राप्त कर लेता है तो विजयदशमी महापर्व की सार्थकता उसके जीवन में सिद्ध हो जाती है। उसके जीवन से रावण के अंश और वंश का समूल विनाश हो जाता है। विजयादशमी के अवसर पर विकास नगर स्थित ब्रह्माकुमारी सेवा केंद्र पर आयोजित आध्यात्मिक कार्यक्रम में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए सेवाकेंद्र संचालिका बीके सुमन ने उक्त बातें कहीं।
उन्होंने कहा कि जीवन में आध्यात्मिकता से दूर होता जा रहा मनुष्य रावण का पुतला बनता जा रहा है, जिसका ईश्वरीय ज्ञान और राजयोग से दहन करना आवश्यक है। पूरा विश्व महाविनाश के मुहाने (चैराहे) पर खड़ा है। हमें शस्त्रों की होड़ छोड़कर शास्त्रों की ओर चलने की आवश्यकता है तभी मनुष्य और मनुष्यता दोनों जीवित रह सकती हैं। स्थानीय सेवाकेंद्र पर आध्यात्मिक प्रवचन के साथ-साथ लोगों को पौराणिक जीवंत चरित्रो के माध्यम से लोगों को सद्गुणों एवं मानवीय मूल्यों का संदेश देने के लिए चैतन्य झांकी सजाई गई थी। शक्ति की चैतन्य देवी दुर्गा जी के सामने बनाये गए हवन कुंड मे उपस्थित लोगो ने अपनी एक मानवीय कमजोरी को स्वाहा करके जीवन मे सद्गुणों के मार्ग पर चलने का संकल्प लिया। चैतन्य झांकी को जनपद के विभिन्न भागों से बड़ी संख्या में आए श्रद्धालुओं ने अवलोकन किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में बीके सीता बहन, बीके सरोज बहन, कविता बहन, दीपशिखा बहन, हरीद्र भाई, अवधेश भाई, प्रभा बहन ने अपना विशेष सहयोग दिया। इस अवसर पर सभी लोगों को प्रसाद वितरण किया गया।