दुद्धी,सोनभद्र। दीपों का पर्व दीपावली नजदीक आते ही बाजारों में दीयों की दुकानें सजने लगी हैं। दुद्धी की साप्ताहिक बाजार रविवार को दीयों की दुकानें सज गई। दीयों की दुकानों पर खरीददारी करने ग्राहकों की भीड़ उमड़ने लगी। दुद्धी में दीयों की बिक्री 80 रूपये से लेकर 100 रूपये तक रही। आधुनिकता के दौर में लोगों ने मिट्टी के दियों की कुछ चमक फीकी जरूर कर दी है, फिर भी मिट्टी के दीयों की पहचान बरकरार रखने के लिए कुम्हार परिवार दिन-रात एक करके अपनी पुरानी परम्परा को बनाए रखने के लिए मिट्टी के दिये और मोमबत्तियां सहित खिलौने आदि बनाते हैं।
मिट्टी के दियों के कारोबार से जुड़े कुम्हार परिवारों का कहना है कि त्योहारों में मिट्टी के दीपक जलाने से घर में सुख, समृद्धि और शांति आती है तथा पर्यावरण को भी नुकसान नहीं पहुंचता. उनका कहना है कि जैसे-जैसे लोगों को मिट्टी के दियों की महत्ता के बारे में पता चला रहा है, लोग इनकी ओर आकर्षित हो रहे हैं और इनकी बाजार मांग भी लगातार बढ़ती जा रही है। दुद्धी क्षेत्र के मल्देवा गाँव के अधिकांश कुम्हार परिवार दीपावली जैसे त्योहार के लिए दिये, कोशी, ढकनी तथा खिलौना आदि बनाते हैं। बताया कि स्थानीय लोगों द्वारा इनकी मांग दिन प्रतिदिन बढ़ रही है। लोगों की मांग को ध्यान में रखकर दियों के निर्माण मे जुटे हुए हैं।मिट्टी के दियों के कारोबार से जुड़े कुम्हार परिवारों का कहना है अभी दीवाली के लिए कुछ दिन शेष हैं लेकिन संबंधित क्षेत्रों के लोग अभी से ही दुद्धी बाजार से तथा कुछ लोग घरों पर आकर ही दीया सहित अन्य मिट्टी के वर्तनों की खरीददारी कर रहें हैं।कुम्हार परिवारों का कहना हैं कि आज के महंगाई के दौर मे मिट्टी सहित लकड़ी आदि की खरीद करके मिट्टी के दीयों और बर्तनों को बनाना काफ़ी मुश्किल होता जा रहा फिर हम लोग अपनी पुरानी परम्परा को बचाए रखने के लिए मिट्टी के कारोबार मे जुटे हैं।