प्रयागराज। [मनोज पांडेय] भारतीय सेना से सेवानिवृत्ति के बाद कर्नल बी एन दुबे प्रयागराज में ही अपने निज निवास पर पत्नी बेटे बहू के साथ रहते थे। आज से 2 दिन पूर्व सुबह के समय अचानक हृदय गति रुक जाने से उनका निजी निवास पर निधन हो गया उनके निधन की जैसे ही सूचना शहर से लेकर गांव तक पहुंची सभी शुभेच्छु में शोक की लहर दौड़ पड़ी और उनके शारीरिक सुंदरता और स्वस्थ काया को लेकर तमाम तरह की चर्चा परिचर्चा होने लगी कि अब किस को स्वस्थ और किस को अस्वस्थ समझा जाए। इन चर्चा परिचर्चाओं के बीच उनके पार्थिव शरीर को उनके अंतिम संस्कार एवं सभी शुभेच्छु को अंतिम दर्शन मिल सके इस हेतु पैतृक गांव कूड़ा कला लाया गया जैसे ही उनका पार्थिव शरीर उनके पैतृक गांव में पहुंचा भदोही जनपद ही नहीं आसपास के जनपदों से भी उनके शुभचिंतकों का उनके अंतिम दर्शनों के लिए तांता लगा रहा तथा उनके सुंदर तन एवं सुंदर मन सरल सहज व्यक्तित्व सभी समाज के प्रति स्नेह और समर्पण सबके सुख दुख में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने को लेकर सबकी आंखें नम एवं सब का अंतर्मन रोता हुआ मिला।
बताते चलें कि कर्नल बी एन दुबे का जन्म उत्तर प्रदेश में प्रयाग और काशी के मध्य छोटे से भदोही जनपद के सीता समाहित स्थल सीतामढ़ी के समीप कोनिया के नाम से चर्चित गंगा की गोद में बसे गांव में से एक कुड़ी कला नामक गांव में एक सामान्य परिवार में हुआ था। उनके बाल्यकाल के सहयोगियों एवं सहपाठियों का कहना है कि उन्हें बचपन से ही देश एवं समाज सेवा के प्रति एक ललक थी जिसको लेकर ही उन्होंने भारतीय सेना की नौकरी पसंद किया था। बचपन में तमाम असुविधा एवं अव्यवस्थाओं के बीच कठिन परिश्रम और मेहनत लगन के दम पर भारतीय सेना में इस स्थान तक अपने को पहुंचाया एवं नौकरी के दौरान कारगिल जैसे दुर्लभ एवं कठिन युद्ध में भी बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया और अपनी बुद्धि कौशल्य बहादुरी से भारतीय सेना एवं समाज को लाभ पहुंचाया। सेवानिवृत्ति के बाद कर्नल बी एन दुबे का अपने गांव समाज के माटी से लगाव असीम स्नेह समर्पण की भावना समाज के सुख दुख में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने वाले एक धीर धीर गंभीर पुरुष का अचानक यू समाज को छोड़कर चला जाना संपूर्ण समाज को स्तब्ध कर दिया।
जीवन के बाद मृत्यु निश्चित है इस कथन को चरितार्थ करते हुए कर्नल वी एन दुबे के पार्थिव शरीर को अपनी माटी और अपनों के बीच पूरी शास्त्रीय विधि-विधान एवं राजकीय सम्मान के साथ पंचतत्व में विलीन कर दिया गया उनके अंतिम संस्कार में समाज के साथ-साथ जनप्रतिनिधि ज्ञानपुर के वर्तमान विधायक विपुल दुबे बैजनाथ दुबे पूर्व प्रधान कालिक मवाईया समाज कल्याण अधिकारी ननकू राम यादव एवं तमाम गणमान्य विशिष्ट व्यक्तियों की उपस्थिति रही।