चंदौली। अंबेडकर जयंती के अवसर पर “बुद्ध विहार बिछियां” स्थित ग्राम सभा बिछियां कला में तथागत बुद्ध प्रतिमा का अनावरण रामटहल बौद्ध (इंजीनियर साहेब) द्वारा शुक्रवार को किया गया। वही बाबा साहब की जयंती भी मनाई गई।
इस दौरान रामटहल बौद्ध ने कहा कि बौद्ध दर्शन एवं बाबासाहेब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर तथा सम्राट अशोक महान का बौद्ध दर्शन में योगदान है। कहाकि बाबा साहब आम्बेडकर नाम से लोकप्रिय, भारतीय बहुज्ञ, विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ, और समाजसुधारक थे। उन्होंने दलित बौद्ध आंदोलन को प्रेरित किया और अछूतों (दलितों) से सामाजिक भेदभाव के विरुद्ध अभियान चलाया था। श्रमिकों, किसानों और महिलाओं के अधिकारों का समर्थन भी किया था। वे स्वतंत्र भारत के प्रथम विधि एवं न्याय मन्त्री, भारतीय संविधान के जनक एवं भारत गणराज्य के निर्माताओं में से एक थे।
अम्बेडकर विपुल प्रतिभा के छात्र थे। उन्होंने कोलंबिया विश्वविद्यालय और लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स दोनों ही विश्वविद्यालयों से अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की उपाधियाँ प्राप्त कीं तथा विधि, अर्थशास्त्र और राजनीति विज्ञान में शोध कार्य भी किये थे। व्यावसायिक जीवन के आरम्भिक भाग में ये अर्थशास्त्र के प्रोफेसर रहे एवं वकालत भी की तथा बाद का जीवन राजनीतिक गतिविधियों में अधिक बीता। इसके बाद आम्बेडकर भारत की स्वतंत्रता के लिए प्रचार और चर्चाओं में शामिल हो गए और पत्रिकाओं को प्रकाशित करने, राजनीतिक अधिकारों की वकालत करने और दलितों के लिए सामाजिक स्वतंत्रता की वकालत की और भारत के निर्माण में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा।
हिंदू पंथ में व्याप्त कुरूतियों और छुआछूत की प्रथा से तंग आकार सन 1956 में उन्होंने बौद्ध धर्म अपना लिया था। सन 1990 में उन्हें भारत रत्न, भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान से मरणोपरांत सम्मानित किया गया था। 14 अप्रैल को उनका जन्म दिवस आम्बेडकर जयंती के तौर पर भारत समेत दुनिया भर में मनाया जाता है। इस दौरान शिवपूजन मौर्य, नागेंद्र प्रताप सिंह मौर्य, हृदय नारायण मौर्य,दीपक मौर्य, जितेंद्र मौर्य, राजमोहन मौर्य, विनय मार्य,भंते करुणाधर, अयोध्या प्रसा,प्रदुम्न मौर्य, गंगा राम मौर्य इत्यादि लोग उपस्थित रहे। अध्यक्षता गौरीशंकर व संचालन अरुण कुमार मौर्य ने किया।