” इति हुआ इतिहास एक…”
इति हुआ मेरी जीवन की इतिहास एक ।प्यासा ही रह गया दिल की प्यास एक ।।
दूर से ही कह दो एक बार तुम इस तरह ,इंतजार में है अभी भी , दिल उदास एक ।
एक बार फिर दोधार में ये कदम फंस चुका ,पत्थर निकला पवित्र देवता विश्वास एक ।
उदास ये आँखें कह रही है कथा उदासी की ,इस तन्हा मेला में रह गया कोई उदास एक ।
मैंने अपना वादा पूरा किया सनम इस तरह ,दे ना सके तुम बचन एक वादा विश्वास एक ।
लंबी सड़कों पर थक कर बैठ जाऊं पलभर ,झलकती है स्मृति में चेहरा अनायास एक ।
तुम होने तक कोई संकल्प ही ना था जीवन में ,लेती हूं संकल्प बदल दूं जग की इतिहास एक ।
ईश्वर सदा रक्षा करें यही शुभकामनाएं तुम्हें ,मैं निराश भी रहूं भेजती रहूंगी सुभाष एक ।
इति हुआ मेरी जीवन की इतिहास एक ।प्यासा ही रह गया दिल की प्यास एक ।।
स्वरचित एवं मौलिक मनोज शाह ‘मानस’ सुदर्शन पार्क नई दिल्ली