आज मालवीय भवन, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में गीता जयन्ती महोत्सव का आयोजन किया गया। मुख्य वक्तव्य विश्वभूषण मिश्र, कार्यपालक अधिकारी, श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास, वाराणसी ने कहा कि सांसारिक जीवन में युद्ध की स्थितियाँ बनी रहती है इसका समाधान गीता के पास है। यह महाग्रन्थ मानवकल्याण के सत्य को निर्धारित करता है। सनातन धर्म का प्रसाद और पहचान आज आवश्यक है। मुख्य अतिथि कुलपति श्री रामभद्राचार्य, दिव्यांग विश्वविद्यालय, चित्रकूट ने कहा कि रामचरित मानस और गीता यह सनातन धर्म का आधार है इसे युवा पीढ़ी के पास पहुँचाना हैं। अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए प्रो0 राजाराम शुक्ल ने कहा कि गीता समिति महामना जी का प्रकल्प है। समागत अतिथियां का स्वागत गीता समिति के सचिव प्रो0 उपेन्द्र कुमार त्रिपाठी ने किया। संचालन प्रो0 सुमन जैन एवं धन्यवाद ज्ञापन प्रो0 शरदिन्दु कुमार त्रिपाठी ने किया।
कार्यक्रम का शुभारम्भ महामना की प्रतिमा पर माल्यार्पण से हुआ। वैदिक मंगलाचरण प्रसून चतुर्वेदी, पौराणिक मंगलाचरण वसुधा भट्टाचार्य एवं कुलगीत गायन अलंकृता राय, स्वरमद माघ ने किया। पद गायन भजन अलंकृता राय, आनन्द कुमार मिश्रा, उज्जवल साहनी, उत्कर्ष सोनी ने किया। गीता महात्म्य का पाठ भी सत्य नारायण पाण्डेय ने किया।
इस अवसर पर सस्वर कंठस्थ गीता पाठ एवं भाषण प्रतियोगिता में प्रतिभागी विजयी प्रतियोगियों को स्वागत अतिथियों ने सम्मान प्रदान कर सम्मानित किया। विजयी प्रतिभागियों में अनुभव पाण्डेय, वसुधा भट्टराई, रतनबाला तिवारी, सागर शुक्ल, मुकुन्द मिश्रा, प्रीतमराज, आयुषी, पियूष पाण्डेय, देवराज पाण्डेय, जगदीश कुनियाल, गणेश मिश्रा, युवराज पाठक, कात्यायनी मिश्र, अतुल मिश्र, गोपाल कृष्णन, जगदीश कुनियाल, स्मिता पाठक, लक्ष्मी देवी गौतम, आनन्द भैरवी मिश्र, शुभम त्रिपाठी, कुलदीप प्रमुख रहें। इस अवसर पर प्रो0 शंकर कुमार मिश्रा, डॉ फिरोज खान, प्रो0 डी.के. मिश्रा, डॉ0 नारायण प्रसाद भट्टराई, डॉ0 एस. श्रीराम, प्रो0 शीतला पाण्डेय, डॉ0 मारकण्डे राम पाठक, डॉ0 एस.के. पाण्डेय, प्रो0 मृत्युंजय देव पाण्डेय एवं छात्र-छात्राओं की उपस्थिति महत्त्वपूर्ण थी।