अघोरेश्वर महानिर्वाण दिवस श्रद्धा एवं भक्तिमय वातावरण में मनाया गया
वाराणसी। शुक्रवार, दिनांक 29/11/2024 | गंगातट, पड़ाव स्थित अघोरेश्वर महाविभूति स्थल के प्रांगण में परमपूज्य अघोरेश्वर भगवान राम जी का 33वाँ महानिर्वाण दिवस बाबा भगवान राम ट्रस्ट, श्री सर्वेश्वरी समूह एवं अघोर परिषद ट्रस्ट के अध्यक्ष एवं अघोरेश्वर महाप्रभु के उत्तराधिकारी पूज्यपाद औघड़ बाबा गुरुपद संभव राम जी के सान्निध्य में श्रद्धा एवं भक्तिमय वातावरण में मनाया गया। इस अवसर पर प्रात:कालीन सफाई श्रमदान के पश्चात लगभग 8:30 बजे पूज्यपाद बाबा गुरुपद संभव राम जी ने अघोरेश्वर महाप्रभु की भव्य समाधि में अघोरेश्वर महाप्रभु की प्रतिमा के समक्ष पुष्पांजलि, माल्यार्पण, पूजन एवं आरती किया। श्री पृथ्वीपाल जी ने सफलयोनि का पाठ किया। तत्पश्चात पूज्य बाबा ने हवन का कार्यक्रम संपन्न किया।
लगभग 12 बजे आयोजित विचार-गोष्ठी में पूज्यपाद बाबा औघड़ गुरुपद संभव राम जी ने शिष्यों एवं श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए अपने आशीर्वचन में कहा-
मिलावटखोरी जानबूझकर की जाने वाली सामूहिक हत्या के सामान
‘मुंडे-मुंडे मते भिन्ना’, सबकी मति अलग-अलग रहेगी, तो उसका प्रभाव उतना ही कम होगा। यदि हमलोग एकजुट होकर एक मत रहेंगे और उस ईश्वर पर विश्वास करेंगे तो हमारी जो मानसिक शक्ति है वह बहुत व्यापक होगी। अमीरी-गरीबी से कोई मतलब नहीं और ना ही शिक्षा और अशिक्षित से मतलब है। क्योंकि आजकल देख रहे हैं कि बहुत-से पढ़े-लिखे लोग अच्छा भी कर रहे हैं और खराब भी कर रहे हैं। पढ़े-लिखे होकर तरह-तरह की नई-नई चीज खोज कर विद्वान हो रहे हैं । यदि हम वेद-पुराण सभी पढ़ लें और उसके अनुरूप आचरण न करें, व्यवहार न करें, चलें नहीं, चिंतन-मनन न करें तो हमारा पढ़ना व्यर्थ ही होता है।
आज के नौजवान लोग आधुनिकता में रमे हुए हैं उनका आचरण-व्यवहार, उनका चाल-चलन, बात-व्यवहार ऐसा है कि न वह किसी का आदर करना जान रहे हैं ना किसी का सम्मान करना जान रहे हैं। उनको अपने प्रति ही आदर और सम्मान नहीं है और ना ही ईश्वर में विश्वास। यह सब उस आधुनिकता की ही देन है। आधुनिकता को अपनाकर जरूर आगे बढ़ें, मगर अपने संस्कारों, अपनी संस्कृति को, अपने व्यवहारों को, अपनी वाणी को ऐसा रखें कि कोई उससे चोटिल ना हो। हमारे देश में, हमारे समाज में राक्षस प्रवृत्ति के भी लोग रहा करते हैं तो उनको हटाने में या समाप्त करने में कोई बुराई नहीं है। हाँ, बहुत अच्छे लोग भी हैं मगर उनको किनारे बैठा दिया जाता है, उनको इतनी तारीफ ही नहीं दी जाती, उनको इतनी शक्तियां ही नहीं दी जाती, उनको इतनी छूट ही नहीं दी जाती कि वह कुछ कर पायें, बड़ा दुर्भाग्य है। और जिसका हमलोग ढिंढोरा पीटते हैं- वह लोकतंत्र के बहाने बहुत नुकसान हमारे इस राष्ट्र को, समाज को उठाना पड़ रहा है। हमलोग न महापुरुषों की वाणियों को सुनते हैं, न उस पर चलते हैं, न उसको करते हैं। हम कहाँ ईश्वर को मानते हैं, कहाँ उन महापुरुषों को मानते हैं, कहाँ उन गुरुजनों को मानते हैं जो हमें अच्छी शिक्षा दे रहे हैं। हमलोग यहाँ से जायेंगे तो फिर उसी माहौल में अपनी ही मति के अनुसार करेंगे। इसी के चलते हमारे समाज में इतना विप्लव हो रहा है, मार-काट, छीना-झपटी हो रहा है। देख नहीं रहे हैं कि हमारे पढ़े-लिखे वैज्ञानिकों ने जो भी आविष्कार किए हैं वह अच्छे के लिए किये मगर उनका दुरुपयोग भी हो रहा है, विध्वंस के रूप में हो रहा है, हजारों, लाखों, करोड़ों लोग मारे जा रहे हैं और इसकी संभावना भी दिखाई दे रही है। क्योंकि इतने जो हथियार बनाए हैं वह किसके लिए बनाए हैं? प्रेम करने के लिए तो बनाए नहीं होंगे। उस महामाया की जो माया है उसी के अंदर हमलोग भटक रहे हैं और उससे निकलने के लिए भी वही हमको सहारा देती हैं। कई लोग कई तरह की विचार-भावनायें अलग-अलग रखते हैं जिनकी पूर्ति नहीं होती है तो वह भी एक विस्फोट होता है। सिर्फ आयुधों का ही विस्फोट नहीं होता, हमारे अंदर भी विस्फोट होता है। हमारी भावनाओं में, विचारों में विस्फोट होता है जिसके चलते हमलोग नाना प्रकार के रोगों से ग्रसित हो जाते हैं। खाद्य-पदार्थों में जो लोग मिलावट कर रहे हैं उन पर वैसी सख्ती नहीं है जैसी अकस्मात् अगर किसी का एक्सीडेंट हो गया, कोई आघात हो गया, उसका प्राण निकल गया तो अनइच्छित हत्या बोल के उसको जेल में डाल देते हैं, उसको सजा दे देते हैं। यह जो मिलावटखोरी है, जहर हमलोगों को दिया जा रहा है जिससे लाखों-करोड़ों लोग प्रभावित हो रहे हैं, उसके लिए कानून है कि नहीं है, मैं नहीं जानता। क्योंकि रोज हमलोग वह मिलावटी अन्न-जल ग्रहण कर रहे हैं। सख्त कानून नहीं होगा तो डॉक्टर भी बढ़ेंगे, अस्पताल भी बढ़ेंगे और बड़े शान से अस्पताल भी खोले जा रहे हैं, बहुत डॉक्टरी भी पढ़ाई जा रही है, डॉक्टरों के कॉलेज भी खुल रहे हैं। जिस दिन मिलावटखोरी बंद हो जाएगी, सब जगह शुद्धता होगी तो क्या होगा इन अस्पतालों का, डॉक्टर लोगों का।
पूज्य बाबाजी ने आगे कहा कि हमें अपने कार्यों को करते हुए भी उस ईश्वर को याद रखना है। ‘गुरु बहुरंगी सर्वसंगी’। वह सबके साथ हैं, सब समय हैं, सब काल में हैं, बस अपनी मानसिकता को हमें ठीक रखना है और अपने-आपमें रहने का प्रयत्न करना है। इस आर्थिक युग में जिसके पास धन होता है उसको सभी पूछते हैं माई-बाबू, घरवाले और जिसके पास किसी कारणवश नहीं रहा तो उसको सब दूर करने लगते हैं। समाज में बहुत खराब स्थिति होती जा रही है। बड़े-बुजुर्गों का भी तिरस्कार करते हैं। जिन्होंने सबकुछ किया आपके लिए, अब बूढ़े हो गए तो सोचते हैं कि यह कोई काम का नहीं, तिरस्कार और -प्रताड़ना देते हैं। महिलाएं हों, चाहे पुरुष हों, सब बराबर के दोषी हैं। अपने ही घर में कोई कमजोर पड़ जाए तो उसका भी सबकुछ छीन लेने के लिए तत्पर रहते हैं कि किसी तरह इसका भी हड़प लिया जाय, छीन लिया जाय। ऐसे में कहाँ आपलोग इस देश का, राष्ट्र का नाम रोशन करेंगे। अपना ही नुकसान, अपने को ही धोखा, अपने को ही गर्त में डालने का हमलोग प्रयास न करें। यही आपलोगों से मैं निवेदन करूँगा और ईश्वर से प्रार्थना करूँगा कि हम सभी को सद्बुद्धि दें जिससे कि हम इस जीवन में और आने वाला जो हमारा जीवन हो उसमें एक संस्कारी जगह, अच्छी जगह जन्म दें। हमारा भारतवर्ष तो बहुत ही अच्छा कहा जाता था लेकिन आजकल कोई ऐसी जगह नहीं है कि हमलोग ढंग से, निर्भय होकर, शांति से, सुख से, चैन से रह सकें। यह कौन लोग हैं जो उपद्रव कर रहे हैं या लोकतंत्र के नाम पर सिर्फ ढकोसला हो रहा है। क्योंकि बाकी सबको तो पढ़ना-लिखना है, पढ़-लिखकर कोई नौकरी पा जाता है, कोई अधिकारी बन जाता है, कोई कुछ बन जाता है, लेकिन नेता बनने के लिए आप अंगूठा छाप भी हैं तो बन सकते हैं। ऐसी बहुत-सी विषमताएं हैं। उस अंगूठा छाप में भी बहुत अच्छा व्यक्ति रहता है जो अच्छे, पढ़े-लिखे लोगों से भी आगे सोचता है। अपने भविष्य के निर्माता हम अपने हैं।
गोष्ठी की अध्यक्षता उत्तर प्रदेश स्वास्थ्य सेवाओं के अवकाशप्राप्त अपर निदेशक डॉ० वी०पी० सिंह जी ने की। वक्ताओं में डॉ वी०पी० सिंह जी, नागेंद्र प्रसाद पाण्डेय जी, श्री सर्वेश्वरी समूह के प्रचार मंत्री पारसनाथ यादव , श्रीमती ऊषा सिंह , अ०प्रा० कर्नल लोकेन्द्र सिंह विस्ट , गणेश विद्यापीठ, भन्नौर, जौनपुर के प्राचार्य डॉ० विनय कुमार सिंह जी थे। श्री यशवंत नाथ शाहदेव जी ने मंगलाचरण किया और श्री मानवेन्द्र सिंह जी ने गोष्ठी का संचालन किया। श्री सर्वेश्वरी समूह के मंत्री डॉ० एस०पी० सिंह जी ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
गोष्ठी के उपरांत लगभग 1:30 बजे से पूज्यपाद औघड़ बाबा गुरुपद संभव राम जी ने परमपूज्य अघोरेश्वर भगवान राम जी की समाधि की पांच परिक्रमा करते हुए “अघोरान्ना परो मन्त्रः नास्ति तत्त्वं गुरोः परम्” का चौबीस (24) घंटे के अखंड संकीर्तन का शुभारम्भ किया, जिसका समापन गुरुवार दिनांक 30.11.2024 को पूज्य बाबा जी द्वारा आरती पूजन के साथ होगा।