मनरेगा घोटाला: बिना काम भुगतान का मामला उजागर, जांच में फर्जीवाड़ा सामने आया

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जिस खेत से मिट्टी निकालकर बंधी पर डालना बताया गया, उस खेत में धान की फसल खड़ी थी

नौगढ़ । मनरेगा योजना में बिना काम किए भुगतान का मामला सामने आया है, जिसमें जांच टीम ने मरवटिया गांव में भारी अनियमितताएं पाईं। डीएम निखिल टीकाराम फुंडे के निर्देश पर डीसी मनरेगा आरके चतुर्वेदी मंगलवार को मरवटिया पहुंचे, जहां उन्हें मौके पर फर्जीवाड़े के सबूत मिले। शिकायत के अनुसार, खेत से मिट्टी निकालकर बंधी पर डालने का काम दिखाया जा रहा था, लेकिन जिस खेत से मिट्टी निकाले जाने की बात हो रही थी, वहां धान की फसल खड़ी थी और आसपास अरहर की फसलें भी लगी हुई थीं। सीएम पोर्टल पर हुई  शिकायत में शिकायतकर्ताओं की उपस्थिति में जांच के दौरान रोजगार सेवक और महिला मेंठ गायब थे, जिससे मामले पर और संदेह गहराया। डीसी चतुर्वेदी के साथ मौके पर खंड विकास अधिकारी अमित कुमार,  प्रधान जगनारायण सिंह और पंचायत सचिव अश्वनी गौतम मौजूद थे, लेकिन कोई जिम्मेदार व्यक्ति स्पष्ट रूप से स्थिति का जवाब नहीं दे पाया। 

.डीसी ने दिया एनएमएमएस हाजिरी डिलीट करने का निर्देश

जांच टीम को बंधी पर मिट्टी डालने के काम का निरीक्षण करने के दौरान पानी भरी बंधी मिली। खेतों में फसल खड़ी देखकर डीसी चतुर्वेदी ने स्पष्ट रूप से कहा कि “मैनेज करके काम चलता है,” जो मनरेगा कार्यों में गंभीर अनियमितताओं की ओर इशारा करता है। इसी दौरान डीसी ने खंड विकास अधिकारी अमित कुमार को निर्देश दिया कि मनरेगा साइट पर अपलोड की गई एनएमएमएस (नेशनल मोबाइल मॉनिटरिंग सिस्टम) हाजिरी को तुरंत डिलीट किया जाए, जो पहले से मौजूद काम की गलत जानकारी प्रदान कर रही थी।

प्रधान की जी-हुजूरी, लीपापोती का प्रयास 

पूरी जांच के दौरान बोदलपुर गांव के प्रधान जगनारायण सिंह डीसी के सामने लगातार अपनी उपस्थिति बनाए रखने और जांच को हल्का दिखाने का प्रयास करते नजर आए। प्रधान ने मामले को टालने और अधिकारियों को प्रभावित करने की कोशिश की, लेकिन मौजूद शिकायतकर्ताओं ने खुलकर अपनी बात रखी। आरोप लगाया कि मनरेगा योजना में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा हो रहा है। काम किए बिना मजदूरी का भुगतान किया जा रहा है, जिससे गांव के विकास कार्यों में ठहराव आ गया है। जांच टीम के सामने आए तथ्यों से यह स्पष्ट हो गया है कि मनरेगा योजना के तहत मरवटिया गांव में सरकारी धन का दुरुपयोग हो रहा है। जांच के बाद भी यह देखना बाकी है कि जिम्मेदार लोगों पर कब और क्या कार्रवाई की जाएगी, लेकिन फिलहाल ग्रामीणों में आक्रोश और निराशा का माहौल है।

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