उर्दू भाषा और साहित्य के विकास और संवर्धन को बढ़ावा देने के लिए साल 1972 में स्थापित की गई उत्तर प्रदेश उर्दू एकेडमी वर्तमान अध्यक्ष चौधरी कैफुलवरा के कार्यकाल में बदहाली के दौर से गुज़र रही है. उर्दू एकेडमी की बदहाली का खुलासा राजधानी लखनऊ के राजाजीपुरम निवासी कंसलटेंट इंजीनियर संजय शर्मा की आरटीआई अर्जी पर एकेडमी के जन सूचना अधिकारी आमिर द्वारा बीती 30 सितम्बर को दिए गए जबाव से हुआ है.
संजय बताते हैं कि बीते साल के सितम्बर महीने की 10 तारीख को चौधरी कैफुलवरा को एकेडमी का अध्यक्ष बनाया बनाया गया था इसीलिए उन्होंने कैफुलवरा के कार्यकाल की बीती अगस्त माह की 29 तारीख तक की सूचनाएं मांगीं थीं.
आमिर ने संजय को जो सूचना दी है उससे इस बात का खुलासा हुआ है कि उर्दू एकेडमी के वर्तमान अध्यक्ष चौधरी कैफुलवरा के अब तक के कार्यकाल में उर्दू भाषा का संरक्षण करने, उर्दू को बढाने और उर्दू का विकास करने से सम्बंधित कोई भी सूचना एकेडमी में नहीं है. आमिर ने संजय को यह भी बताया है कि इस कालखंड में प्रकाशित होने वाली साहित्यिक और अकादमिक योग्यता की मूल रचनाएँ और उर्दू में लोकप्रिय और बच्चों की किताबें लिखने वाले लेखकों के नामों की सूचना भी एकेडमी में नहीं है. इस अवधि में साहित्यिक और वैज्ञानिक कार्यों के साथ-साथ अन्य विषयों की उर्दू भाषा में अनुवादित कार्यों की सूचना एकेडमी में नहीं होने की बात भी आमिर ने संजय को बताई है. आमिर ने संजय को यह भी लिखकर दिया है कि उपरोक्त अवधि के दौरान उर्दू में तैयार और प्रकाशित संदर्भ कार्यों के और प्रकाशित कराये गए पुराने उर्दू साहित्य के वैज्ञानिक रूप से संपादित ग्रंथों के नामों की भी कोई सूचना एकेडमी के रिकॉर्ड में नहीं है. इस अवधि में एकेडमी में व्याख्यान देने के लिए आमंत्रित किए गए प्रख्यात विद्वानों और अन्य प्रतिष्ठित व्यक्तियों के नामों के साथ-साथ एकेडमी द्वारा अर्जित की गई चल एवं अचल संपत्ति की सूचना भी एकेडमी में नहीं होने की बात भी संजय को बताई गई है.
संजय का कहना है कि उनको दी गई सूचना से यह बात सीधे सीधे सामने आ रही है चौधरी कैफुलवरा के कार्यकाल में उर्दू अकादमी अपने संस्थापन प्रलेख ( मेमोरंडम ऑफ एसोसिएशन ) में दिए गए अनेकों प्रमुख कार्यों और उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए कोई भी काम नहीं कर सकी है.
आमिर ने संजय को बताया है कि इस अवधि में 6 पुस्तकें अप्रकाशित हैं जिनका प्रकाशन किया जाना है. आमिर द्वारा दी गई सूचना के अनुसार इस अवधि में उर्दू के 19 लेखकों की पुस्तकों के प्रकाशन के लिए आर्थिक सहायता दी गई है जिनका पूरा व्योरा भी आमिर ने संजय को दिया है. इस अवधि में साल 2020 की पुस्तकों पर पुरस्कार भी दिए गए हैं जिनकी 9 पेजों की उर्दू में लिखी सूची भी आमिर ने संजय को दी है. इस अवधि में 125 से अधिक बूढ़े, जरूरतमंद लेखकों को मासिक सहायता देने के साथ-साथ कक्षा 6 से पी.एच.डी. तक के 2301 छात्रों को मेरिट के आधार पर 76 लाख से अधिक छात्रों को छात्रवृत्ति दिए जाने की बात भी आमिर ने संजय को बताई है.
आमिर ने संजय को यह भी बताया है कि इस अवधि में मुशायरा,सेमिनार, शाम-ए-ग़ज़ल,उर्दू ड्रामा,दास्तान-गोई,बैत-बाजी के 62 कार्यक्रम कराये गए हैं. इस अवधि में उर्दू अकादमी ने मासिक खबरनामा,त्रैमासिक अकादमी और मासिक बागीचा नाम की 3 पत्रिकाओं का प्रकाशन करने के साथ-साथ सेल डिपो से पुस्तकें बेंचकर 7 लाख से अधिक की आय भी प्राप्त की है.संजय ने चौधरी कैफुलवरा से सार्वजनिक अपील की है कि वे उर्दू अकादमी के मेमोरंडम ऑफ एसोसिएशन में दिए गए सभी कार्यों और उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए काम करें ताकि उर्दू अकादमी अपने गठन के उद्देश्यों को पूरा कर सके.